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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वस्तुतः यह अधिनियम समस्त भारतीयोंपर लागू होता है; और इसीलिए इसका सम्बन्ध समस्त भारतीय जनतासे है। किन्तु यह मुसलमानोंपर दुहरी कठोरतासे लागू होता है, क्योंकि इससे हमारे धर्मका विशेष रूपसे अपमान होता है; और दूसरोंकी अपेक्षा भारतीय मुसलमानोंके आत्मसम्मानको अधिक आघात लगता है, क्योंकि वे समाजके अधिक धनी और सम्मानित अंग हैं।

हम कह सकते हैं कि सौभाग्यसे, दक्षिण आफ्रिकामें मुसलमानों और हिन्दुओंमें कोई विरोध भाव नहीं है। हम सब मिलकर भारतीयोंके रूपमें शान्ति और मित्रभावसे रहते हैं, आपसम स्वतन्त्रतापूर्वक व्यवहार करते हैं, और अपने प्रति विद्वेष और अत्याचारसे मिलकर लड़ाई लड़ते है। इसलिए यदि हम उस शिकायतपर, जो हमें प्रभावित करती है, जोर देते हैं तो हम ऐसा केवल अपनी अनिश्चित स्थितिकी ओर समस्त भारतके मुसलमानोंका ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं; ताकि हम अपने संघर्षम आपकी अत्यन्त सक्रिय सहायता प्राप्त कर सकें। और हम आपसे मुसलमानों और भारतीयोंके रूपमें यह प्रार्थना करने का साहस करते हैं कि आप हमारा मामला सरकारके सम्मुख प्रस्तुत करके, और अन्य तरीकोंसे भी, जिन्हें आप वाञ्छनीय समझें, हमारे साथ अपनी सहानभति प्रकट करें। जब कि हमें इंग्लैंडसे बहत सहायता मिल रही है, तब हमें वे गोरे उपनिवेशी भी, जिनकी हमारे साथ सहानुभूति है, पूछते हैं कि हमारा देश भारत हमारे लिए क्या कर रहा है।

भवदीय
इमाम अब्दुल कादिर सालिम बावज़ीर (अध्यक्ष)
एम० पी० फैन्सी (मन्त्री)
इब्राहीम सालेजो कुवाड़िया (कोषाध्यक्ष)
ईसप इस्माइल मियाँ (संरक्षक)
अब्दुल गनी, एम० सी० कमरुद्दीनकी पेढ़ी (संरक्षक)
[और ३३ अन्य]

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-८-१९०७