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१५२. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

पॉचेफ्स्ट्रम और क्लासडॉर्प

पंजीयन कार्यालय इन दोनों स्थानोंसे जैसा गया था वैसा ही लौट आया है। पाँचेफ्स्ट्रमके अखबार लिखते हैं कि पंजीयकोंने सारा समय बीड़ी पीने में बिताया। एक कैदी तक पंजीकृत नहीं हुआ। पाँचेफ्स्ट्रममें स्वयंसेवक काममें लग गये थे। प्रिटोरियासे पीटर्सबर्ग, पीटर्सवर्गसे पॉचेफ्स्ट्रम और पाँचेफ्स्ट्रमसे आगे क्लार्क्सडॉर्प बढ़ गया है क्योंकि क्लार्क्सडॉर्पके भारतीयोंने स्वयंसेवक भी नहीं रखे। बाहरसे भी उन्होंने किसीकी मदद नहीं ली। जो मदद दी गई उन्होंने उसे लेनेसे भी इनकार कर दिया। हर भारतीयने अपने-आप ही पंजीयन कार्यालयका बहिष्कार किया। इस प्रकार क्लार्क्सडॉर्प सबसे आगे बढ़ गया। अब दूसरे गाँव किससे आगे बढ़ेंगे? और यदि बढ़ना चाहेंगे तो किस तरह? इन दोनों जगहोंपर तार पहुँच गये थे। और उन्होंने उनके उत्तर भी दिये हैं। पाँचेफ्स्ट्रमके पुराने निवासी श्री ई० एन० पटेल दोनों जगहोंपर पहुँच गये थे।

स्मटसको भेजे गये पत्रपर टीका

श्री गांधीने जनरल स्मट्सके नाम जो पत्र लिखा है, वह प्रकाशित हो गया है और उसपर 'लीडर' और 'स्टार' ने टीका की है। दोनों अखबारोंका कहना है कि जनरल स्मट्सके उत्तरको निर्णायक मानकर श्री गांधीको भारतीय समाजसे यह सिफारिश करनी चाहिए कि वह कानूनकी शरण हो जाये, नहीं तो उसे परेशान होना पड़ेगा। यह सीख तो ठीक ही है। किन्तु ऐसा लिखनेवाले यह भूल जाते है कि भारतीय समाज जनरल स्मट्स के भरोसे नहीं बैठा है। उसका संरक्षक तो परमेश्वर है, जनरल स्मट्स नहीं; न ट्रान्सवालके गोरे ही। इन गोरोंकी कानूनके वश करानेकी आतुरतासे मालूम होता है कि भारतीय समाजके विरोधसे ये डर रहे हैं।

जनरल स्मट्सका उत्तर

स्वयं जनरल स्मट्सका उत्तर भी एक ऐसी ही धमकी है, जिससे भारतीयोंको रत्तीभर भी नहीं डरना चाहिए। उनका काम हमसे किसी भी प्रकार कानून स्वीकार कराना है। इसलिए वे तरह-तरहकी धमकियां दे रहे हैं। वे कहते हैं कि वे कानूनको पूरी तरह अमलमें लायेंगे। इसका क्या मतलब? कोई भी यह नहीं सोचता कि कानून पूरी तरह अमल में नहीं लाया जायेगा। यह तो सभी जानते है कि कानूनकी एक भी उपधारा रद नहीं होगी; किन्तु प्रश्न यह है कि जो उसके वश नहीं होंगे उनपर वह किस प्रकार लागू किया जायेगा? उन्हें सजा देकर? यदि यह बात हो तो भारतीय कहते हैं कि उन्हें जेल या निर्वासनका डर नहीं है। डरनेवालोंपर वह अवश्य लागू किया जा सकेगा, किन्तु उन्हें तो

[१] देखिए "तार: पाँचेक्स्टमके भारतीयोंको", और "तार: पीटर्सवर्गके भारतीयोंको", पृष्ठ १६२।

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