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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

कहा नहीं जा सकता। किन्तु इस निवेदनका जवाब मैं दे सकता हूँ। मान लें कि सारे भारतीय ट्रान्सवालसे चले गये और साढ़े तीन कलमुँहे रह गये। उस हालतमें कलमुँहोंको तो हलके दर्जेका मानकर जैसे-तैसे रहने दिया जायेगा, किन्तु उन्हें दूसरे लोगोंको लानेकी अनुमति नहीं होगी। इसका मतलब है कि उन्हें कुत्तेकी तरह जीवन बिताने दिया जायेगा। और थोड़े दिनोंमें उनके पैर अपने-आप ही उखड़ जायेंगे। अब मान लें कि बहुतेरे भारतीयोंने पैसेको प्यारा समझकर कानून स्वीकार कर लिया। तब बाजार तो उनके सिरपर खड़ा ही है। उस कानूनका कौन विरोध कर सकता है? यदि किसीने किया तो नक्कारखानेमें तूतीकी आवाज कौन सुनेगा? किन्तु यदि भारतीय बहुत बड़ी संख्या में कानूनके विरोध में जूझें तो वे निस्सन्देह जहाँ चाहेंगे वहाँ इज्जतके साथ व्यापार कर सकेंगे, तथा कानून भी ऐसे बनाये जायेंगे जो सब गोरे-काले व्यापारियोंपर लागू हों। इसके अलावा भारतीय व्यापारी बहुत इज्जतके साथ रहेंगे।

निर्वासन कानून

प्रवास कानून दोनों संसदोंमें पास हो गया है। सम्भव है वह शुक्रवारके 'गजट' में प्रकाशित हो। वह अभी लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि हस्ताक्षरके लिए विलायत भेजा जायेगा। उसमें एक उपधारा ऐसी देखने में आती है कि जिन्हें नये कानूनके अन्तर्गत ट्रान्सवालसे निर्वासित होनेकी सजा हो उन्हें सरकार जबरदस्ती निर्वासित कर सकती है। यह उपधारा नई है। इसके आधारपर जिस भारतीयको नोटिस मिलेगा उसे सरकार जबरदस्ती निकाल सकती है। यह नई परेशानी है। इस कानूनपर विलायतमें सही होगी या नहीं, कह नहीं सकते। किन्तु यदि हो गई तो निर्वासन कानून सबपर लागू हो सकता है। परन्तु इसका अर्थ विशेष कुछ नहीं है। यदि ट्रान्सवालकी सरकार भारतीयोंको जबरदस्ती जेलमें बन्द कर सकती है तो जबरदस्ती उनका निर्वासन भी कर सकती है। किन्तु मानना यही होगा कि यह धारा केवल नेताओंपर ही लागू की जायेगी। ब्रिटिश भारतीय संघ इस कानूनके खिलाफ एक अर्जी[१] विलायत भेज रहा है और बहुत करके इस पत्र के छपने के पहले ही वह रवाना कर दी जायेगी।

रस्टनबर्गसे

रस्टनबर्ग से तार आया है कि खुदाकी मेहरबानीसे सारे भारतीय पंजीयन करवानेके खिलाफ दृढ़ हैं।

'स्टार' को पत्र

श्री गांधीने 'स्टार' की टीकाके सम्बन्धमें निम्नानुसार पत्र लिखा है:[२]

'स्टार'

श्री गांधीके इस पत्रपर 'स्टार' ने बहुत ही टीका की है और लिखा है कि अँगुलियोंका निशान लगाना यदि मुख्य आपत्ति नहीं थी तो उसपर आज तक क्यों इतना जोर दिया गया? 'स्टार' का कहना है कि बच्चोंका पंजीयन न करने और पुलिस द्वारा कोने-कोने न पुछवाने या अँगुलियाँ न लगवाने से बहुत भारतीय घुस आयेंगे, इसलिए श्री गांधीका सुझाव ठीक नहीं माना जा

  1. देखिए "आवेदनपत्र: उपनिवेश मन्त्रीको", पृष्ठ १८३-८८।
  2. पाठके लिए देखिए "पत्र: 'स्टार' को", पृष्ठ १७८-७९।