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लेडी स्मिथके व्यापारी

हमको दुःख और आश्चर्य होगा। वे कई बार कह चुके हैं कि उनको एशियाई अधिनियम पसन्द नहीं है। अब ट्रान्सवाल सरकारसे निबटनेका सुनहरा मौका उनके हाथ लगा है। वे चाहें तो एशियाई अधिनियमको मंसूख करा सकते हैं। और पुन: पंजीयन कराने के सिद्धान्तको सुधरे हुए रूपमें प्रवासी अधिनियममें शामिल करा सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-८-१९०७

१५५. केपके भारतीय[१]

केप उपनिवेशके प्रवासी अधिनियम और व्यापारिक परवाना अधिनियमके अमलके बारेमें केप टाउनके ब्रिटिश भारतीय संघने केपकी संसदके सामने जो तर्कसंगत निवेदनपत्र पेश किया है उसके लिए संघको बधाई दी जानी चाहिए। इस निवेदनपत्रमें जो मुद्दे उठाये गये हैं, उनको उठाने में कोई जल्दी नहीं की गई है और जैसा कि निवेदनकर्त्ताओंने ठीक ही कहा है, उनकी प्रार्थनाको केपके अनेक प्रमुख राजनीतिज्ञोंने तर्कसंगत और न्यायोचित समझा है। मिसालके तौरपर जिन ब्रिटिश भारतीयोंको इस प्रायद्वीपको छोड़कर बाहर जानेका मौका पड़ता है उन्हें अस्थायी अनुमतिपत्र देकर बाहर जाने देना किसी भी सूरतमें न्यायोचित नहीं कहा जा सकता; क्योंकि उस अनुमतिपत्रकी मियादके भीतर न लौटनेपर उनका आवास-अधिकार छिन जाता है। इस प्रकार तो वे पाबन्दीके साथ छूटे हुए कैदी हो जाते हैं और उनकी व्यक्तिगत स्वतन्त्रतापर बिलकुल अनुचित और बेजा अंकुश लग जाता है। और पुराने भारतीय फेरीवालोंसे बिना किसी कारणके उनके परवाने छीन लेना भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है। हमें विश्वास है कि ब्रिटिश भारतीयोंने जो निवेदनपत्र भेजा है उसपर केप सरकार गम्भीरतापूर्वक विचार करेगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-८-१९०७

१५६. लेडी स्मिथ के व्यापारी[२]

लेडीस्मिथका व्यापार संघ फिरसे उन ब्रिटिश भारतीयोंका सुराग लगा रहा है जिनको लेडीस्मिथ निकायने अन्यायपूर्वक परवाने छीनकर क्लिप रिवरके जिलेमें व्यापार करनेसे वंचित कर दिया है और जिनमें इतनी मजाल है कि वे बिना परवानों के अपने जीविकोपार्जनके लिए अपना व्यापार जारी रख रहे हैं। जब हम कहते हैं कि लेडीस्मिथका व्यापारसंघ ही इन गरीब भारतीयोंके पीछे पड़ा हुआ है तब उसका इतना ही मतलब होता है कि यूरोपीय व्यापारी, जो अपने प्रतिस्पर्धियोंसे ईर्ष्या करते हैं, उन्हें इस जिलेसे निकाल बाहर करनेकी कोशिश कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकारकी तरफसे भी कुछ ऐसा समझौता हो गया है कि वह

  1. देखिए "केप टाउनके भारतीय", पृष्ठ २०६।
  2. "लेडी स्मिथके परवाने ", पृष्ठ २०४-५ भी देखिए।