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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२३७

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१६३. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
नाइलस्ट्रम तथा रस्टनबर्ग

इन दोनों जगहोंसे पंजीयन कार्यालय जैसा गया वैसा ही लौटा है। नाइलस्ट्रमवालोंने तो एक दिन दूकानें भी बन्द रखीं। एक भी व्यक्तिने पंजीयन नहीं करवाया। दोनों स्थानोंको ब्रिटिश भारतीय संघ और हमीदिया इस्लामिया अंजुमनने बधाईके तार भेजे थे। यह सब बहुत ही शुभ मालूम हो रहा है। किन्तु फिर भी इससे हमें फूलना नहीं है। पंजीयन कार्यालयका बहिष्कार करना आसान हो गया है। लोगोंको चाहे जहाँ पंजीयन करवानेका अवसर दिया जा रहा है; इसलिए बहिष्कारमें विशेष जोखिम उठानेकी बात नहीं रही। किन्तु अन्तिम मुकाम और अन्तिम तारीखके आनेपर दौड़ मचती है या नहीं यह देखना है। आजसे ही चर्चा चल रही है कि तब लोग हिम्मत रखेंगे या नहीं, और जो लोग हिम्मत रखेंगे वे जेलका समय आनेपर भी दृढ़ रहेंगे या नहीं।

रेलवेकी तकलीफ

श्री अब्दुल गनी तथा श्री गुलाम मुहम्मदको प्रिटोरिया जानेवाली शामकी ४-४० की गाड़ीमें जोहानिसबर्गसे जाने नहीं दिया गया था। इस सम्बन्धमें संघने जो कार्रवाई की थी वह समाप्त हो गई। मुख्य प्रबन्धकका कहना है कि उन्हें खेद है किन्तु गार्डके डिब्बे में भी उनके लिए जगह नहीं थी इसलिए उन्हें जाने नहीं दिया गया। जनरल स्मट्सका कहना है कि ये सारी अड़चनें भारतीयोंके भलेके लिए हैं। यह लड़ाई अब आगे नहीं चल सकती; क्योंकि भारतीय कौम इस समय कसौटीपर चढ़ी हुई है। यदि कसनेपर वह सोना साबित हुई तो रेलवे आदिकी तकलीफें अपने-आप समाप्त हो जायेंगी। और यदि वह राँगा निकली, तो फिर रेलके टिकट मिले तब क्या और न मिले तब क्या?

अलीकी विदाई

श्री हाजी वजीर अली शनिवारको परिवार सहित केपकी ओर बिदा हुए हैं। उन्हें पहुँचाने के लिए श्री अब्दुल गनी, श्री शहाबुद्दीन हसन, श्री अमीरुद्दीन, श्री गुलाम मुहम्मद, श्री मुहम्मद शहाबुद्दीन, श्री चैपमन, श्री पोलक, श्री गांधी आदि उपस्थित थे। श्री अली तथा श्रीमती अली दोनोंकी आँखोंमें पानी आ गया था। श्री अलीके विदाईके शब्द स्मरण रखने योग्य हैं। उन्होंने कहा—"मुझसे भूल हुई हो या न हुई हो, उसे दर-गुजर कर दें। मनुष्य मात्र भूल करता आया है। किन्तु जितना मैं करता हूँ उतना यदि दूसरे भारतीय भाई करें तो पर्याप्त माना जायेगा।" ये शब्द दरअसल याद रखने लायक हैं। हम श्री अलीकी गलतीको भूल जायें। उन्होंने कानूनको न मानकर ट्रान्सवाल छोड़ दिया, यह शाबाशी देने योग्य है। यदि इतना करने के लिए भी बहुत भारतीय खड़े हो जायेंगे तो अन्तमें हमारी जीत होगी।