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१७०. 'इंडियन ओपिनियन' का परिशिष्टांक

हमने गतांक सूचित किया था कि हम इस अंकमें माननीय दादाभाई नौराजीका चित्र उनके जन्मदिवसके उपलक्ष्य में देंगे। उसके अनुसार पाठक इस अंकमें उसका चित्र देखेंगे। यह चित्र गत वर्ष, जब भारतके पितामह स्वदेश गये थे, लिया गया था और 'इंडिया' में छापा गया था। हमने यहाँ उसकी नकल ली है। हमारी सलाह है कि सब इसे मढ़वाकर रखें। किन्तु हम इसकी सच्ची मढ़वाई तो तब कहेंगे जब यह हमारे हृदयोंमें अंकित हो जाये। कागजके टुकड़ेको सजाकर रखने और उसके पीछे जो अर्थ छिपा है, उसको तनिक भी स्मरण न रखनेका नाम ही मूर्तिपूजा या बुतपरस्ती माना जा सकता है। इस चित्रको अपने कमरेमें टांगनेका उद्देश्य मात्र यही है कि उसको देखकर हमें अपने कर्तव्यका नित्य नया ज्ञान होता रहे। इस समय दक्षिण आफ्रिकामें और वैसे ही भारतमें ऐसी स्थिति है कि दादाभाई जैसे सैकड़ों वीर निकल आयें तो भी पर्याप्त न होंगे। जबतक ऐसे लोग नहीं निकलते तबतक राजनीतिक और सांसारिक जीवनके अन्य क्षेत्रोंमें हमारा उद्धार न होगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ७-९-१९०७

१७१. सुस्वागतम्

नेटालके नये गवर्नर सर मैथ्यु नेथन आ गये है। उनकी उम्र पैंतालीस वर्षकी है। वे अविवाहित हैं। वे यहूदी हैं और अपनी जातिके पहले व्यक्ति हैं जिन्हें दक्षिण आफ्रिकामें गवर्नर नियुक्त किया गया है। कहा जाता है कि वे बड़े प्रेमी, परिश्रमी और अनुभवी हैं। हाँगकाँगमें सभी कौमोंका चित्त उन्होंने चुरा लिया था। इस समय नेटालकी हालत बड़ी खराब है। ऐसी परिस्थितिमें यद्यपि स्वराज्य प्राप्त उपनिवेश में वे बहुत हस्तक्षेप नहीं कर सकते, फिर भी अपनी एक सज्जनोचित सलाहसे और व्यक्तिगत आचरण से बहुत सहायता कर सकते हैं। उनके सम्बन्ध में जो आशाएँ रखी गई हैं, भगवान करे, वे सफल हों। उनके साथ उनकी बहन कुमारी नेथन भी हैं। वे गवर्नरके सामाजिक जीवनसे सम्बन्धित कार्य सँभालती हैं और समारोहोंके समय पत्नीका अभाव खटकने नहीं देतीं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ७-९-१९०७