१९४. भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय
श्री शेलतने कुछ दिनों तक बड़े मनोयोगके साथ पुस्तकालयकी देखरेख की और अब दूसरी जगह जानेके कारण इस्तीफा दिया है। उनकी जगहकी पूर्ति श्री तार मुहम्मद सुमारने की है, और श्री जूसब उस्मानने उनकी सहायता करना स्वीकार किया है। हम इन दोनोंको बधाई देते हैं। समाजसे बिना कुछ लिए सामाजिक काम करनेवाले बहुतसे लोग सामने आने चाहिए। यह हमारी कमजोरीका लक्षण है कि हमें यह खयाल बना रहता है, कि अमुक व्यक्तिके चले जाने के बाद काम किस तरहसे चलाया जा सकेगा। श्रम करने और नियमित रहनेकी दृष्टिसे श्री दीवानकी जगह भरना बहुत कठिन बात है, फिर भी हम आशा करते हैं कि श्री तार मुहम्मद तथा श्री जूसब उस्मानने जो काम लिया है, उसे वे पूरे मनोयोगके साथ करेंगे।
पुस्तकालय शिक्षणका एक प्रतीक है। यह सिद्ध करना जरूरी नहीं है कि उससे बहुत लाभ होता है; इसलिए इस पुस्तकालयको चलाते रहना हरएक भारतीयका कर्तव्य है।
इंडियन ओपिनियन, २१-९-१९०७
१९५. भारतसे कुमुक
माननीय प्रोफेसर गोखलेका समुद्री तार
माननीय प्रोफेसर गोखलेका नीचे लिखा समुद्री तार जोहानिसबर्ग ब्रिटिश भारतीय संघ नाम आया, सो हमें प्रकाशनार्थ प्राप्त हुआ है:
आपकी लड़ाई मैं सतत देखता रहता हूँ। चिन्तातुर होकर मन उधर ही लगा रहता है। अत्यन्त सहानुभूति है। लड़ाईकी तारीफ करता हूँ। दृढ़ मनसे खुदाकी मर्जीपर भरोसा रखना।
माननीय प्रोफेसर गोखलेको हर भारतीय देशभक्त जानता है। वे भारतके केन्द्रीय विधान-मण्डलके सदस्य हैं। उनके तारसे प्रत्येक भारतीयको लाख गुना और जोश आना चाहिए। प्रोफेसर गोखलेने तार भेजा है, इसका अर्थ यह हुआ कि अब सारे भारतमें रंग जमेगा और भारत पूर्ण रूपसे मदद करेगा।
तारका उत्तर
तार मिलते ही ब्रिटिश भारतीय संघकी बैठक बुलाई गई। उसमें श्री ईसप मियाँ, श्री कुवाड़िया, श्री अहमद मूसाजी, श्री फैन्सी, श्री उमरजी साले, इमाम अब्दुल कादिर,