सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२१६. गरीब किन्तु बहादुर भारतीय

कुछ गरीब भारतीय अपनी नौकरी छोड़कर भिखारी बन जानेको तैयार हैं, किन्तु वे खूनी कानूनके सामने न झुकेंगे। यह बात हम अपनी जर्मिस्टनकी रिपोर्टमें दे चुके हैं। जिन भाइयोंने हिम्मतसे कानूनको ठुकराया है वे गरीब हैं, यह देखकर हम खुशीसे उछल तो नहीं पड़ते, फिर भी हम उन्हें नर-वीर मानते हैं; और यदि कानूनके मामलेमें हम जीते तो उसका यश बहुत कुछ ऐसे गरीबोंको ही मिलेगा। व्यापारियोंमें जो लोग ढीले पड़ गये हैं उन्हें हम याद दिलाते हैं कि उनके व्यापारके प्रति [गोरोंकी] ईर्ष्याके कारण ही सारे भारतीय समाजको दुःख उठाना पड़ रहा है। यह कानून मुख्यतः उन्हीं लोगोंके लिए शर्मनाक है। अतः उनके लिए लाजिमी है कि वे अपनी आबरूके लिए नहीं, तो देशके लिए ही अपनी टेक रखें।

परवाने के बिना व्यापारीका काम कैसे चलेगा, यह सवाल बहुत उठता है। लेकिन नौकरीसे अलग किये हुए भारतीयोंका क्या हाल होगा, यह सवाल ज्यादा भयंकर है। नौकरोंको बचाना हम ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानते हैं। फिर भी हमारा कहना है कि कानूनके सामने घुटने टेकनेके बजाय नौकरी छोड़कर भूख सहन करना नौकरोंके लिए अधिक अच्छा है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-१०-१९०७

२१७. भारतीय मतदाता

"मतदाता" (वोटर) नामसे लिखनेवाले एक भारतीयका पत्र हम इस अंकमें छाप रहे हैं। "मतदाता" ने जो सवाल उठाया है वह ऊपर-ऊपर देखने में ठीक लगता है। यदि लेडीस्मिथ या डर्बनमें भारतीय मतदाता होते तो नगरपालिकाके सदस्य परवाने छीन नहीं लेते, यह दलील एक ही शर्तपर ठीक है कि मताधिकारका उपयोग करनेमें भारतीय लोग गोरोंके मुकाबलेके हों। हमारा कहना है कि भारतीय ऐसा मुकाबला नहीं कर सकते, क्योंकि उनमें स्वतन्त्रताका जोश नहीं है। केपमें बहुतेरे मतदाता हैं, लेकिन उन्होंने अपने अधिकारका उपयोग नहीं किया। हमारे पाठकोंको याद होगा कि बम्बई जैसे शहरमें भी चुनाव दलोंने अपना स्वाँग रचा था, फिर नेटालकी तो बात ही क्या? हमें विश्वास है कि जबतक भारतीय समाजमें पश्चिमकी सच्ची शिक्षाका प्रवेश नहीं होता, तबतक हममें वह जोश नहीं आयेगा और तबतक मत-रूपी हथियार बेकार है। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि मताधिकार खो दिया जाये। मताधिकारसे वंचित करनेकी कार्रवाईके खिलाफ हमने सख्त लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ेंगे। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हम मताधिकारका उपयोग करने जायें तो वह खो जायेगा। किन्तु यदि रह जाये तो हम अवसर आनेपर उसका उपयोग कर सकते हैं। यह तलवार अभी तो म्यानमें ही शोभा देने लायक है। लेकिन लेडीस्मिथके परवानोंका