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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

उपयोग मैंने इसलिए किया है कि इतनी बड़ी लड़ाई में भारतीय प्रजा अन्ततक अपनी एकताको कायम रखकर कानूनका विरोध करती रहेगी, इसमें सामान्यतः शंका बनी रहती। क्योंकि इस जमाने में हमारे लिए यह नया कदम है। हमारे मनमें इस वहमने गहरी जड़ें जमा रखी हैं कि कानूनकी मुखालफ़त नहीं की जा सकती। यदि यह वहम निकल जाये तो उसे कम उत्कर्ष नहीं कहा जायेगा। यदि हम अन्ततक कानूनको मानने से इनकार करते रहे तो यही माना जायेगा कि हम छोटे-छोटे थोरो बन गये हैं । थोरो कौन हैं, इसे 'ओपिनियन' के पाठक अब जानते ही होंगे।

अब हम फिर सभाका विषय लें। सभामें इमाम अब्दुल कादिर सभापतिके आसनपर विराजमान थे। मौलवी साहब मुहम्मद मुख्त्यारने प्रभावशाली भाषण दिया और जोशीले शेर पढ़कर सुनाये, जो सभी भारतीयोंपर लागू होते हैं। उनके बाद श्री रामसुन्दर पण्डितने भाषण दिया। उसमें उन्होंने जर्मिस्टनकी लड़ाईका बयान किया और बताया कि उनके अनुमतिपत्रकी अवधि ३० तारीखको समाप्त हो रही है, फिर भी लोगोंकी माँगपर उन्होंने यहाँ रहना स्वीकार किया है। सरकार उनके अनुमतिपत्रकी अवधि नहीं बढ़ायेगी, तब भी यहीं रहकर वे जेल भोगेंगे। अपने कर्तव्यका पालन करनेमें चूकेंगे नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि जर्मिस्टनके स्वयंसेवक जोहानिसबर्ग में मदद देनेको तैयार हैं। श्री गांधीने बताया कि धरनेदारोंकी मददके सम्बन्ध में प्रिटोरियासे श्री बेगका पत्र आया है। श्री उमरजी सालेने जोर देकर कहा कि मुसीबत आनेपर भी वे नये कानूनके सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। नये कानूनके सम्बन्धमें 'गुजराती'[१] पत्र में एक लेख छपा था। श्री इब्राहीम कुवाड़ियाने वह पढ़कर सुनाया। श्री बल्लभ भाईने कहा कि कुर्मियों (कुनवियों) में से एक भी हिन्दू पीछे नहीं रहेगा। अर्जीपर करीब-करीब सभी हिन्दुओंने हस्ताक्षर कर दिये हैं। श्री नवाब खाँने भी भाषण दिया। सभापति महोदयने श्री वेग और श्री रामसुन्दर पण्डितके तत्परता दिखाने और श्री पण्डितके जोशके लिए आभार माना। नेताओंको अर्जीपर हस्ताक्षर पूरे करवाने की प्रेरणा देकर बैठक समाप्त हुई।

चीनियोंकी सभा

चीनी संघकी सभा भी इसी रविवारको हुई थी। उनका सभा-भवन भी खचाखच भर गया था। श्री क्विन सभापति थे। श्री गांधीने कानूनके बारेमें सारी बातें समझाई और कहा कि चीनी लोग डटकर कानूनका विरोध करें।

नये कानूनके आधारपर मुकदमा

ईलू मुथु नामक एक मद्रासीने नये कानूनके अन्तर्गत गुलामीका पट्टा लेनेके लिए अर्जी दी है। उसकी अर्जी ठीक न होनेके कारण पंजीयकने कानूनके अनुसार प्रिटोरिया न्यायालय में नोटिस लगवाया है कि उसे नया पंजीयनपत्र न दिया जाये और वह न्यायालय में आकर जवाब दे। कच्ची मिट्टीके घड़ोंको याद रखना चाहिए कि नये पंजीयनपत्र लेनेवालोंका यही हाल होगा।

"भारतीयोंका बहिष्कार करो"

प्रिटोरियामें महिला मण्डली इस तरहकी आवाज उठा रही है। इन महिलाओंने प्रस्ताव किया है कि भारतीय फेरीवाले और भारतीय व्यापारियोंसे किसी तरहका व्यवहार न रखनेके

  1. बम्बईसे प्रकाशित एक साप्ताहिक।