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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बिलकुल नहीं किया जायेगा। इसके बाद श्री गांधीने दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको बनाये रखने के सम्बन्धमें समझाया और श्री रिचके पत्रकी बातें कहीं। बादमें इमाम अब्दुल कादिर, श्री टी॰ नायडू, श्री अब्दुल रहमान (पॉचेफ्स्ट्रूमवाले), श्री नवाबखाँ, श्री कुवाड़िया, श्री अली मुहम्मद, श्री जोजेफ, श्री उमरजी साले आदिके भाषण हुए। उन्होंने कहा कि समिति तो कायम ही रहनी चाहिए। श्री जोजेफने प्रश्न किया कि जो नौकरीसे अलग कर दिये जायेंगे उनका क्या होगा। इसके उत्तरमें श्री गांधीने कहा कि जेल जाने तक जो तकलीफें होंगी वे तो सबको उठानी हैं। नौकरीवालेको यदि इज्जतकी परवाह होगी तो वह नौकरीकी परवाह नहीं करेगा। नौकरी एक जगहसे दूसरी जगह मिल सकती है, लेकिन गई हुई इज्जत नहीं मिल सकती। देशके सामने नौकरीकी क्या कीमत? परवानेके नोटिसके सम्बन्ध में पूछे गये श्री कुवाड़ियाके प्रश्नके उत्तरमें श्री गांधीने कहा कि परवाना न मिले तो जेल जाना ही ठीक है। लेकिन परवानेके बिना व्यापार करने में कोई हर्ज नहीं। फिर भी यदि भारतीय प्रजा डर जाये तो परीक्षात्मक मुकदमा दायर किया जा सकता है। उसमें धनकी जरूरत होगी।

धरनेदारोंकी बैठक

उपर्युक्त बैठकके पहले धरनेदारोंकी एक अलग बैठक हुई थी। उसमें बड़ी हिम्मतसे काम किया गया। हर स्टेशन और वॉन ब्रेंडिस चौककी जाँच करनेके लिए आदमी नियुक्त किये गये थे। हरएकके लिए फीता बनवाया गया है जिससे धरनेदारोंको तुरन्त पहचाना जा सकता है। धरनेदारोंके नामोंमें थोड़ा परिवर्तन हुआ है। लेकिन अभी मैं नाम नहीं देना चाहता। क्योंकि बादमें और भी परिवर्तन हो सकता है। महीना पूरा होनेपर जितने लोगोंने काम किया होगा, उतने नाम दे दूंगा। पिछली बार जो नाम दिये गये हैं, उनमें दो नामों से एक ही व्यक्तिका बोध होता है। उन्हें नरोत्तम अमथाभाई पटेल वांझवाला और नाराणजी करसनजी देसाई छीनावाला समझा जाये।

क्रूगर्सडॉर्पके भारतीयोंको सूचना

मैं देखता हूँ कि, क्रूगर्सडॉर्पके भारतीय अब भी 'रैंड डेली मेल'के संवाददातासे काम लेते रहते हैं। उन्होंने अँगुलियोंकी निशानीपर बहुत जोर दे रखा है। लेकिन हमें समझना चाहिए कि वह कानून हमें अस्वीकार इसलिए है कि वह हमपर ही लागू होता है, और हमें अपराधी साबित करता है। ऐसे भारतीयोंको 'इंडियन ओपिनियन' के पिछले अंक देखकर सारी बातें जान लेनी चाहिए।

फेरीवालोंका मुकदमा

बॉक्सबर्ग में फेरीवालोंपर मुकदमा चल रहा है। उसमें मजिस्ट्रेटको इस विषयपर निर्णय देना है कि यदि कोई फेरीवाला किसीके निजी मकानके सामने २० मिनटसे ज्यादा रुके तो वह अपराध है या नहीं। मजिस्ट्रेटका रुख एक फेरीवालेकी ओर था, इसलिए उसने उसे छोड़ दिया है। नये कानूनके सम्बन्ध में भी ऐसा ही होना सम्भव है।

धरनेदार गिरफ्तार

श्री भाणा छीनिया नामक एक धरनेदारको पुलिसने यह आरोप लगाकर पकड़ लिया था कि वह पैदल पटरीपर खड़े होकर आने-जानेवाले लोगोंके मार्ग में रुकावट डालता था। वह