पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/३२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९१
पत्र: स्टारको

नौजवान भारतीय अपना पंजीयन कराना चाहता था। वह अपनी मालकिनके साथ था और उसे किसीने नहीं रोका। कुछ समय पहले एक और भारतीय भी वॉन बैंडिस स्क्वेयरके पंजीयन कार्यालय में इसी तरह गया था। मैं आपके सामने यह तथ्य इसलिए पेश कर रहा हूँ कि श्री अलेक्जेंडरने यह सुझाव दिया था कि उनके मुवक्किलोंको पुलिस सुरक्षा दी जाये। और वास्तवमें मुझे बतलाया गया कि उनको पुलिस सुरक्षा मिल भी गई थी।

अपने संघकी ओरसे मैं यह आश्वासन देनेको घृष्टता करता हूँ कि ब्रिटिश भारतीय संघ किसी डराने-धमकाने की बातका समर्थन नहीं करेगा और मेरा संघ इस बातका पूरा खयाल रखेगा कि पंजीयन कार्यालयमें जाने के इच्छुक किसी भी आदमीको संघसे सम्बन्धित कोई भी व्यक्ति तंग न करे। जहाँतक मुझे पता है, मुझे इस बातका यकीन है कि श्री अलेक्जैंडरको उनके मुवक्किलोंने गलत खबर दी; क्योंकि उन्हें किसी प्रकारकी शारीरिक हानिकी अपेक्षा भारतीय जनमतका अधिक भय था।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो॰ क॰ गांधी
अवैतनिक मंत्री,
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-१०-१९०७

२३३. पत्र: 'स्टार' को[१]

जोहानिसबर्ग
अक्तूबर १८, १९०७

सेवामें

सम्पादक
'स्टार'

[जोहानिसबर्ग]
महोदय,

भारतीय धरनेदार पूर्णतया निर्दोष हैं, फिर भी बिना लेशमात्र प्रमाणके उनपर यह दोष लगाया जा रहा है कि वे उन लोगोंको डराते-धमकाते हैं जो पंजीयन प्रमाणपत्र लेना चाहते हैं। इसलिए कृपा होगी, यदि आप मुझे इस आरोपके थोथेपन और साथ ही उस जवाबी धमकीकी ओर भी, जो एक वास्तविकता है, जनताका ध्यान आकर्षित करनेकी सुविधा दें।

कल एक ऐसा मामला हुआ जिसमें धरनेदारोंने पीटर्सबर्ग से आये तीन भारतीयोंके साथ रक्षक दल भेजनेकी रजामन्दी जाहिर की, किन्तु वह अस्वीकृत कर दी गई। बात दरअसल यह

  1. यह २६-१०-१९०७ के इंडियन ओपिनियनमें भी उद्धृत किया गया था।