प्रार्थनापत्र दे देंगे और दूसरे लोग सांसारिक समृद्धिसे अपनी मनुष्यताका मूल्य अधिक लगानेके कारण अवैध निवासी बना दिये जायेंगे।
आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी
स्टार, १९-१०-१९०७
२३४. रिचकी सेवाएँ
दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके एक सदस्य श्री रिचके बारेमें इस प्रकार लिखते हैं:
इस योग्य, सक्षम तथा स्वार्थत्यागी पुरुषके भगीरथ कार्य और लगनके लिए भारतीय समाज जितनी कृतज्ञता और प्रशंसाभाव प्रकट करे, थोड़ा ही होगा।
दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय न केवल ऊपर प्रयुक्त प्रत्येक विशेषणका समर्थन करते हैं, बल्कि वे यह भी अनुभव करते हैं कि उनकी सेवाएँ जितनी मूल्यवान आज हैं उतनी और कभी नहीं हो सकतीं। ट्रान्सवालके भारतीय एक ऐसे संघर्ष में लगे हुए हैं, जैसा इस पीढ़ीमें फिर कभी नहीं होगा। इसलिए यह अति आवश्यक है कि लॉर्ड ऐम्टहिल ट्रान्सवालमें भारतीयोंके कष्टोंको दूर करनेके जो प्रयत्न कर रहे हैं उनमें उन्हें सतत जागरूक तथा अथक परिश्रमी श्री रिचकी सहायता मिलती रहे।
इंडियन ओपिनियन, १९-१०-१९०७
२३५. जनरल बोथाका अनुकरण
यद्यपि ट्रान्सवालमें भारतीय समाज बहुत जोर दिखा रहा है, फिर भी भीतर ही भीतर यह डर बना हुआ है कि अन्त कैसा होगा। इतना तो स्पष्ट है कि इस तरहका डर रखनेवालेको सत्य, और खुदा या ईश्वरपर कम भरोसा है। इस कारण या और किसी कारणसे हम डर रखनेवालेके सामने ट्रान्सवालके वर्तमान राज्यकर्ताओंका उदाहरण पेश करते हैं। पाठकोंको याद होगा कि ट्रान्सवालके गोरोंको जब स्वराज्य मिला उसके पहले ही श्री लिटिलटनने लॉर्ड मिलनरकी सलाहसे आधा स्वराज्य दे दिया। उसमें जनरल बोथा, जनरल स्मट्स वगैरह काम कर सकते थे। लेकिन उतने अधिकारोंको अपर्याप्त मानकर जनरल बोथाने लॉर्ड मिलनरको लिखा था कि "हमारा विचार आपके राज्य शासन में हिस्सा लेनेका बिलकुल नहीं है। हमें जो संविधान दिया गया है उसे हम सन्तोषजनक नहीं मानते।" लॉर्ड मिलनर इसपर चिढ़ गये। वांडरर-सभाभवनमें भारी सभा हुई। उसमें लॉर्ड मिलनरने भाषण दिया और