धरनेदारोंका काम
धरनेदार बहुत परिश्रम कर रहे हैं। और इसमें शक नहीं कि उनके प्रयत्नोंसे बहुतेरे कमजोर भारतीय रुक जाते हैं। पार्क, फोर्ड्ज़बर्ग, ब्रामफाँटीन, डार्नफाँटीन और जेपी स्टेशनपर धरनेदार बैठते हैं। वैसे ही, अनुमतिपत्र कार्यालयके आसपास भी। इस व्यवस्थाके कारण रुडीपूर्टसे आनेवाले तीन भारतीय मजदूर हाथ आये थे। उन्हें उनके वरिष्ठ अधिकारीने जबरदस्ती पंजीयन करवानेके लिए भेजा था। धरनेदारोंसे भेंट होनेपर उन्हें समझाया गया, इसपर वे यह कहकर वापस चले गये कि नौकरी छोड़ देंगे मगर नये पंजीयनपत्र नहीं लेंगे।
इमाम कमाली लोगोंको गुमराह करते हैं और बीचमें पड़ते हैं, इससे लोगोंमें बहुत क्षोभ और खेद पैदा हो गया है। इमाम कमाली भारतीय नहीं, मलायी हैं, इसलिए सबको यही लगता है कि उन्हें भारतीय मामलेमें दखल नहीं देना चाहिए।
भीमकाय प्रार्थनापत्र[१]
यह प्रार्थनापत्र अभीतक सरकारके पास नहीं गया है। एक-दो जगहसे फार्म सही होकर नहीं आये हैं, इसलिए रुका हुआ है। इसमें लगभग सभी प्रमुख भारतीयोंके हस्ताक्षर हो चुके हैं। श्री अब्दुल गनी, श्री हाजी हबीब, श्री ईसप मियाँ, श्री दादाभाई, श्री कुवाड़िया वगैरह सज्जनोंके हस्ताक्षर हैं। विशेष समाचार अगले सप्ताह देनेकी आशा करता हूँ।
मोहलत मिलेगी या नहीं?
यदि दिसम्बरमें लोगोंपर प्रहार हो और उन्हें मजिस्ट्रेटके समक्ष खड़ा किया जाये तो मोहलत मिलेगी या नहीं? यह प्रश्न पूछा गया है। नये पंजीयनपत्र न लेनेके कारण यदि किसीको मजिस्ट्रेटके सामने पेश किया जाये, तो वह जानेके लिए मोहलत मांग सकता है। कितनी मोहलत दी जाये, यह मजिस्ट्रेटके हाथमें है। यानी वह एक घंटेसे एक वर्ष तक की या इससे भी ज्यादा मोहलत दे सकता है। लम्बी मोहलत देगा ही यह मैं नहीं कहता, परन्तु इसमें शक नहीं कि उसे लम्बी मोहलत देनेका अधिकार प्राप्त है। फिर भी मैं जानता हूँ कि इस तरह मोहलत मांगनेमें हीनता है। और मैं किसीको इसकी सलाह नहीं दे सकता। जो जेलसे डरकर अपना कारोबार समेटना चाहें कुछ मोहलत माँग सकते हैं; और मैं नहीं समझता कि थोड़ी-बहुत मोहलत देनेसे भी मजिस्ट्रेट इनकार करेगा। ये सब बातें हरएक मुकदमेपर, मजिस्ट्रेटपर और समयपर निर्भर हैं।
ईसप मियाँका शोक
श्री ईसप मियाँकी पत्नीका प्रसूतिकी बीमारीसे शुक्रवारकी रातको देहान्त हो गया। उससे बड़ा शोक फैल गया है। श्री ईसप मियाँका इरादा अपनी पत्नीको लेकर हज करने जानेका था। किन्तु उन्हें खूनी कानूनकी लड़ाईके कारण रुक जाना पड़ा। इसी बीच यह खेदजनक घटना हो गई। इससे उन्हें बहुत दुःख हुआ है। खुदा श्री ईसप मियाँको हिम्मत बख्शे, यह मेरी प्रार्थना है।
बेगका पत्र
श्री बेग अखबारोंमें जोरसे लिखा करते हैं। प्रिटोरिया न्यूजमें उन्होंने श्री स्मट्सके भाषणके उत्तरमें लम्बा पत्र लिखा और श्री स्मट्सको उनकी बातोंका अनौचित्य दिखा दिया
- ↑ देखिए "भीमकाय प्रार्थनापत्र", पृष्ठ २३९।