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पत्र: 'ट्रान्सवाल लीडर' को

कारगर दलीलसे काम लिया और उनके मस्तिष्कसे उन सूक्ष्म प्रलोभनोंको निकाल दिया जो पंजीयनके पुरस्कारस्वरूप उनके सामने प्रस्तुत किये गये थे। सरकार पंजीयन कराने के लिए समाजको बहकानेके जो घोर प्रयत्न कर रही है उनके बारेमें जनताको कोई जानकारी नहीं हो सकती। धरनेदारोंने कभी भी धमकियोंसे काम नहीं लिया और समाजके जिम्मेदार लोग उन धरनेदारोंकी गतिविधियोंपर बराबर नजर रखते हैं।

दुर्भाग्यवश, एक मुल्लापर आक्रमण किया जानेकी सूचना सच है, किन्तु उसपर कई भारतीयोंने मिलकर हमला नहीं किया था। वास्तविक घटना इस प्रकार है: उक्त मुल्ला भारतीय नहीं, बल्कि एक मलायी है। हमारे बीच एक फकीर है, जो पैगम्बरका पक्का भक्त है। वह अपना पूरा वक्त तीनों मस्जिदोंमें से किसी-न-किसीमें गुजारता है और जब-कभी वह ठीक समझता है, एक खानमें पत्थर तोड़नेका काम करके, अपनी रोटी कमाता है। वह किसीकी नहीं सुनता और शायद दक्षिण आफ्रिकामें सबसे ज्यादा आजाद तबीयतका आदमी है। उसे और उसकी सादी जिन्दगीको देखनेवाला हर आदमी उसकी इज्जत करता है। जब उसने यह सुना कि इस मलायी मुल्लाने भारतीयोंको, विशेषकर भारतीय मुसलमानोंको, अपनी शपथकी पवित्रता भंग करके कानूनके आगे झुकनेको प्रोत्साहित किया है तब वह गुस्सेसे भर गया। वह इरादतन मलायी मस्जिदमें जा पहुँचा, उक्त मुल्लासे मिला और उसके साथ बहस-मुबाहसा करने लगा। उसने कुरानकी एक आयतका उदाहरण देते हुए मुल्लाको यह समझाया कि कमसे-कम उसे तो भारतीय मामलोंमें दखल देने और लोगोंको कुरानकी तालीमसे मुकर जानेके लिए फुसलानेसे दूर ही रहना चाहिए, खास तौरपर इसलिए कि वह भारतीय नहीं है। फिर तू-तू मैं-मैं की नौबत आ गई, जिसका परिणाम हुआ यह दुर्भाग्यपूर्ण आक्रमण। आप इस बातको स्वीकार करेंगे कि इस मामलेकी जिम्मेदारी भारतीयोंपर डालना नितान्त अनुचित है। हममें से अनेकने उस फकीरको समझानेको कोशिश और उससे संयम बरतने के लिए अनुनय-विनय की है, किन्तु वह अपने व अपने खुदाके बीच किसीकी दस्तन्दाजी मुनासिब नहीं मानता। कहने की आवश्यकता नहीं कि उसके लिए घर और जेल बराबर हैं। और दलील दी जाने पर उसने कहा कि वह अदालतके सामने जाकर अपने कार्यका औचित्य सिद्ध करनेके लिए बिलकुल तैयार है।

जहाँतक कुत्तेको जहर देनेका मामला है, वह इल्जाम शरारत भरा है। मैंने बड़ी सावधानीसे जाँच की है, लेकिन मुझे जहर देने और कुत्तेके मालिकके पंजीयनके बीच कोई सम्बन्ध नहीं मिल सका। पिछले दिनों भारतीयोंके अनेक कुत्तोंको जहर दिया गया है। आम तौरपर ऐसा खयाल है कि काम चोरोंका है, जो इन कुत्तोंके भौंकनेके कारण पकड़े जानेसे बचना चाहते थे। अगर भारतीय-गद्दारोंके साथ होनेवाली हरएक दुर्घटनाको भारतीय अनाक्रामक प्रतिरोधियोंके मत्थे मढ़ा जायेगा तो यह बड़ी भयंकर बात होगी। महोदय, आप विश्वास कीजिए, अल्पसंख्यकोंको बहुसंख्यक भारतीयोंकी इच्छाके सामने झुकानेके लिए किसी आपत्तिजनक तरीकेको अपनानेकी हमारी कोई इच्छा नहीं है। हम, जो अपने आचार-व्यवहारमें स्वतन्त्र रहना चाहते हैं और इसीलिए एशियाई अधिनियमको मानने से इनकार करते हैं, उन दूसरे आदमियोंपर पाबन्दी लगा भी कैसे सकते हैं जो हमारे जैसा नहीं सोचते? हम, जो अपने लिए स्वतन्त्रता तथा आत्मसम्मानका दावा करते हैं, अगर दूसरोंको उतनी ही स्वतन्त्रता देने से इनकार करते हैं तो अपने आदर्शोंके प्रति झूठे साबित होंगे।