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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मिलकर उन्होंने उससे वादविवाद किया। उन्होंने इमामको विश्वास दिलानेके लिए कुरानकी एक आयत सुनाई और कहा: "आप तो इमाम हैं, इसके अलावा आप भारतीय नहीं, मलायी हैं; आपको भारतीय मामलेमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। और इमाम होकर कुरानकी आयतोंको तोड़नेके लिए लोगोंको नहीं बहकाना चाहिए।" समझाते-समझाते दोनों गरम हो गये, बोलचाल शुरू हुई और उससे मारपीट हो गई। इस प्रकार यह घटना घटी। इसमें भारतीयोंपर खतरनाक होनेका आरोप लगाना बहुत ही अनुचित होगा। हममें से बहुतेरोंने दरवेश साहबको समझाया तथा शान्त होनेके लिए उनसे मिन्नतें कीं। लेकिन उनका कहना है कि खुदा और मेरे बीच किसीको नहीं आना चाहिए। कहनेकी जरूरत नहीं कि उनके लिए घर और जेलखाना दोनों एक-जैसे हैं। उन्हें समझाया गया तो उन्होंने कहा है कि मैं अदालतमें जाकर अपनी बात समझानेको तैयार हूँ।

कुत्तेको जहर देनेका आरोप लगाना निर्दयतापूर्ण है। मैंने इस बातकी बहुत ही बारीकी से जाँच की है। लेकिन कुत्तेको जहर देने और उसके मालिकके पंजीकृत होने में कोई सम्बन्ध नहीं है। लोग मानते हैं कि कुत्तेके भौंकनेके कारण पकड़े जाने से बचने के लिए किसी चोरने वैसा किया होगा। किसी भारतीय गद्दारका नुकसान हो और उसका दोष आप अनाक्रामक प्रतिरोधीके सिर थोपें तब तो बड़ी भयंकर बात होगी। नहीं महोदय, बहुसंख्यक भारतीयोंकी इच्छाका पालन करनेके लिए अल्पसंख्यकोंको लाचार करनेके अनुचित उपाय काममें लानेका हमारा जरा भी इरादा नहीं है। जैसे हम स्वतन्त्र रहनेके लिए कानूनके वश नहीं होते, उसी तरह दूसरोंके अपनी इच्छाके अनुसार चलनेकी स्वतन्त्रता भोगनेमें हम आड़े आना नहीं चाहते।

जर्मिस्टनके हिन्दू धर्मगुरुके सम्बन्धमें आपके संवाददाताने जैसा लिखा है वैसी कोई घटना नहीं घटी। हाँ, यह बात बिलकुल ठीक है कि उक्त धर्मगुरु कानूनके मामले में उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। और ऐसा तो इस उपनिवेशके सभी हिन्दू व मुसलमान धर्मगुरु करते हैं, क्योंकि यह सवाल समस्त भारतीय समाजपर लागू होता है। यदि भारतीयोंको अपना धर्म प्यारा हो तो उनसे लड़ाई में उत्साह दिखाये बिना रहा ही नहीं जा सकता। जहाँ यह विकल्प खड़ा हो कि इन्सान रहें या हैवान बनें, वहाँ अपनी इन्सानियतको कायम रखनेकी सलाह क्या धर्मगुरु नहीं दे सकता?

इस किस्सेपर टीका

यह किस्सा बहुत ही विचार करने योग्य है। इमाम कमाली तथा श्री हेलूने पंजीयन अधिकारीसे बहुत बढ़ा-चढ़ाकर झूठी बातें कहीं है, इसमें कोई शक नहीं। ईसप मियांने सिद्ध कर दिया है कि बहुतसे भारतीयोंके मारपीट करनेकी बात बिलकुल झूठी है। फकीरकी पिटाईकी जिम्मेदारी भारतीय कौमपर डालना बिलकुल गलत है। श्री हेलूके कुत्तेको किसी भी भारतीयने जहर दिया होगा यह बिलकुल असम्भव है। लेकिन इस उदाहरणसे इतनी बात बिलकुल समझ ही ली जानी चाहिए कि हमारी लड़ाईमें मारपीटके लिए कोई स्थान नहीं है। मारपीट करके हमें विजय प्राप्त करना नहीं है। और जो खुदापर भरोसा रखकर लड़ते हैं उन्हें मारपीट आदिके साधनोंकी आवश्यकता होती ही नहीं। मैं तो किसी भी दिन नहीं मानूंगा कि सत्यकी हार हो सकती है। भारतीयोंका मामला बिलकुल सच्चा है, इसलिए हमें निर्भय होकर रहना