कुछ अफवाहें
एक ऐसी बात उड़ी है कि श्री गांधीने जोहानिसबर्गके बहुत-से प्रमुखोंको गुप्त रूपसे पंजीकृत करा दिया है और खुद भी हो गये हैं। पाठक खुद समझ लें कि इसको कितना महत्त्व दिया जा सकता है। अफवाह तो यह भी है कि इस बातको उत्तेजन जरनल स्मट्सने दिया है। यदि ऐसी बात हो तो यही कहना होगा कि जनरल स्मट्स डरके मारे नाहक हाथ-पाँव पटक रहे हैं।
दूसरी गप्प यह उड़ी है कि जनरल स्मट्स दिसम्बरमें अ-पंजीकृत लोगोंको निश्चित रूपसे गाड़ीमें बिठा देंगे। उन्होंने नेटालके मन्त्रीके साथ यह व्यवस्था कर ली है कि गाड़ी बन्दरगाहपर पहुँचाई जायेगी और वहांसे उन्हें वालाबाला स्टीमरमें भरकर भारत पहुँचा दिया जायेगा। यह बात बेबुनियाद है, क्योंकि झूठ है। जबरदस्ती देशनिकाला देनेका कानून अभी पास नहीं हुआ है। श्री लेनर्ड राय दे चुके हैं कि ऐसा एक भी कानून ट्रान्सवालमें नहीं है जिसकी रूसे पंजीयन न करानेवाले भारतीयको जबरदस्ती निर्वासित किया जा सके। इसके अलावा यह भी सोचना चाहिए कि यदि ऐसी सत्ता खूनो कानूनमें होती तो सरकार प्रवासी-विधेयकमें वह धारा विशेष तौरसे न रखती। इतनी बात निश्चय है कि सरकारको जबरदस्ती निर्वासित करनेका अधिकार नहीं है। फिर, जिन्हें नेटालमें रहनेका हक है उन्हें जहाजमें जबरदस्ती कौन बिठा सकता है?
तीसरी गप्प यह है कि जोहानिसबर्गके बहुतसे भारतीयोंने पंजीयन करवा लिया है। इसपर अरमीलो, क्लार्क्सडॉर्प और पॉचेफ्स्ट्रमसे अगुवा लोग पता लगाने के लिए यहाँ आ गये हैं। यहाँ स्थितिको देखकर उन्हें हिम्मत बँधी है। श्री हेलू, श्री मुहम्मद शहाबुद्दीन, श्री अब्दुल गफूर और दूसरे दो या तीन व्यक्तियोंके सिवा जोहानिसबर्ग के किसी भी व्यक्तिने पंजीयन नहीं कराया। और अन्य शहरोंके सिर्फ पन्द्रह लोग आकर यह कालिख लगवा गये हैं। इस सारी स्थितिसे उपर्युक्त नेता खुश हुए हैं और कानूनका विरोध करनेका उनमें फिरसे पूरा उत्साह भर आया है।
प्रिटोरिया कमजोर
यह जो डर था कि प्रिटोरिया सबसे कमजोर है वह अब सच्चा साबित हो चुका है। अधिकतर वहींके लोक पंजीकृत हुए हैं। मेमन तो सभी पंजीकृत हो चुके। इससे दूसरी जातियों में भी खलबली मची है और यही विचार हो रहा है कि दूसरे क्या करें। किन्तु इसमें विचार किसलिए किया जा रहा है, यह समझमें नहीं आता। कानून बुरा है और उसका विरोध करनेकी हमने शपथ ली है; इतना प्रत्येक व्यक्तिके लिए काफी होना चाहिए।
खेदजनक घटना
शाहजी साहबने इमाम कमालीके ऊपर हाथ डाला, यह खबर तो अभी ताजी ही है। इस बीच उनका हाथ श्री मुहम्मद शहाबुद्दीनके ऊपर पड़ चुका है। सोमवारको लगभग दस बजे श्री मुहम्मद शहाबुद्दीन मार्केट स्क्वेयरमें थे। इतनेमें शाहजी साहबने आकर उनको पंजीयन करानेपर उलाहना दिया और पीटा। उनकी उँगलीमें खासा जरूम आया। वहाँ जो यहूदी मौजूद थे, उन्होंने बीच-बचाव कर दिया, अन्यथा ज्यादा चोट लगती। इससे हाहाकार मच रहा है। सभीको इससे खेद होता है। श्री ईसप मियाँ और श्री गांधी श्री मुहम्मद