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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

शहाबुद्दीनके पास सहानुभूति प्रकट करनेके लिए गए थे। श्री मुहम्मद शहाबुद्दीनने शाहजी साहबके विरुद्ध कोई कार्रवाई न करनेका निश्चय किया है। फिर भी जब पुलिस कमिश्नरको इस बातकी खबर मिली तो उन्होंने उसके सम्बन्ध में पूछताछ की है। उन्होंने श्री शहाबुद्दीनका बयान मँगवाया है। श्री शहाबुद्दीनने उसपर हस्ताक्षर करनेसे इनकार कर दिया है। नेतागण शाहजी साहबको समझा रहे हैं। इस घटनासे सभीको दुःख हुआ है।

में अनेक बार इस चिट्ठीमें लिख चुका हूँ कि यदि इस लड़ाईके दौरान कौममें मारपीट हुई तो हमारा जीतना कठिन है। यह लड़ाई मारपीटकी नहीं है। जो "पियानो बजाता"[१] है उसका बचाव नहीं किया जा सकता। ऐसे लोग देशद्रोही हैं इसमें शक नहीं। किन्तु उनको नम्रतासे और तर्कसे समझाना है। परन्तु यदि वे न मानें तो उनको मारनेसे हमारा काम नहीं चलेगा। उसमें भारी नुकसान है। शाहजी साहबको कोई कुछ कह नहीं सकता। उनकी बात ही न्यारी है। किन्तु सभी भारतीयोंको सोचना चाहिए कि यह काम प्रत्येक भारतीयकी हिम्मत से पूरा हो सकता है। मारपीटसे कदापि नहीं। जिनको कानूनसे बेइज्जती नहीं मालूम होती वे यदि अपना पंजीयन भी करा लेंगे तो उससे क्या होना-जाना है? मैं तो मानता हूँ कि जबतक समाजका बड़ा हिस्सा दृढ़ रहेगा तबतक कुछ नहीं होगा।

कुछ प्रश्न

सवाल उठाया गया है कि मालिककी गैरहाजिरीमें मैनेजरको परवाना मिल सकता है या नहीं। इस सवालका जवाब सर्वोच्च न्यायालयसे राम मकनके मुकदमेमें मिल चुका है। सो यह है कि परवाना मिल सकता है। यह सवाल भी उठा है कि यहाँके निवासी भारतीयोंको नये कानूनके अनुसार मुख्त्यारनामेपर अँगूठा लगाना चाहिए या नहीं। यह तो स्पष्ट है कि उसपर तो लगाना चाहिए। ये सारे सवाल उनके लिए हैं जिनको कानून स्वीकार करना हो। जिन्हें कानूनके सामने न झुकना हो वे तो बिना परवानेके व्यापार करते हुए लड़ेंगे और अन्तम कानूनको रद करायेंगे।

गद्दारोंकी संख्या में वृद्धि

मैं पिछली बार जो सूची[२] भेज चुका हूँ उसमें अब जो वृद्धि हुई है, वह दुःखके साथ यहाँ दे रहा हूँ:

[प्रिटोरियासे २७; पीटर्सबर्ग से २१; पॉचेफ्स्ट्रमसे १२; मिडेलबर्गसे ४; जोहानिसबर्गसे ५; और लुई ट्रिचार्ट, ज़ीरस्ट, मेफिकिंग और क्रिश्चियांना—प्रत्येकसे १।][३]

भारतीय कांग्रेसकी लन्दन समितिको पत्र

सर विलियम वेडरबर्न कांग्रेसकी ब्रिटिश समितिके प्रमुख हैं। श्री ईसप मियाँ तथा इमाम अब्दुल कादिरने उन्हें पत्र[४] लिखे हैं कि आगामी कांग्रेसमें इस कानूनके सम्बन्ध में बात जरूर उठाई जाये।

  1. अँगुलियोंकी छाप देनेपर व्यंग्यात्मक शब्द प्रयोग।
  2. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ ३१६।
  3. यहाँ गांधीजीने विभिन्न स्थानोंके गद्दारोंके नाम दिये थे जिन्हें इस रूपमें संक्षिप्त कर दिया गया है।
  4. देखिए "पत्र: सर विलियम वेडरबर्नको", पृष्ठ ३१९ और ३२३-२४।