अन्याय करेगी और वह भी निरपराध और निर्बलोंके साथ, तो उसकी राजनीतिको बट्टा लगेगा और सरकार हार जायेगी।
इस सुन्दर लेखमें केवल एक ही भूल यह है कि 'लीडर' का लेखक मानता है, लड़ाई केवल अंगुलियोंकी निशानी लेने-देनेके सम्बन्धमें ही है। इस भूलसे कुछ नहीं बिगड़ता। 'लीडर' जैसा अखबार सरकारको पीछे हटने और न्याय करनेकी सलाह देता है, इससे प्रकट होता है कि हवाका रुख बदलनेपर आ गया है। प्रश्न केवल यह है कि भारतीयोंको अब जो जोर दिखाना है, वह दिखायेंगे या बैठे रहेंगे?
नाइयोंको चेतावनी
जोहानिसबर्ग नगरपालिकाने नाइयोंके लिए नियम बनानेका प्रस्ताव किया है। और चूँकि नियमोंका पास हो जाना सम्भव है, इसलिए उनका सारांश नीचे देता हूँ:
१. नाई अपनी दूकानें बिलकुल साफ रखें। उनकी बनावट ऐसी होनी चाहिए कि उनमें हवा आ-जा सके।
२. बाल काटनेके यन्त्र, कैंची, उस्तरे, कंधे और ब्रश हमेशा साफ रखे जाने चाहिए।
३. हजामत करते समय नाईको झग्गा पहनना चाहिए। वह झग्गा गले तक पहुँचना चाहिए। नाईको अपने हाथ अच्छी तरह साफ रखने चाहिए।
४. स्वयं नाईको या उसके नौकरको कोई चर्म रोग या संक्रामक रोग हो तो वह हजामत न बनाये।
५. जनवरीकी पहली तारीखके बाद नाईकी हर दूकान पंजीकृत होनी चाहिए। परिषद यह पंजीयन मुफ्त करेगी।
६. सफाई निरीक्षक या डॉक्टरको किसी भी नाईकी दूकानमें प्रवेश करनेका हक है।
इन नियमोंकी एक प्रति प्रत्येक नाईकी दूकानमें लगाई जाये। परिषदने निम्न बातोंकी सिफारिश की है:
१. हर मेजपर काँच, संगमरमर, स्लेट या जस्तेका पतरा बिछा होना चाहिए।
२. हर ग्राहकके लिए साफ रूमाल काममें लाया जाये और सिर टिकानेकी जगह हर बार साफ रूमाल अथवा साफ कागज रखा जाये।
३. हजामत बनाने के लिए दो ब्रश रखे जायें। उन्हें कृमिनाशक पानीमें रखा जाये और पानीमें रखे हुए ब्रशका उपयोग किया जाये।
४. साबुनका पानी, पाउडर या साबुनकी लम्बी टिकियाका उपयोग करना चाहिए।
५. उस्तरेको साफ कागजपर घिसा जाये और उस्तरा तथा दूसरे औजारोंको काममें लाने के बाद चार-पाँच मिनट तक जन्तुनाशक पानी में रखा जाये। दो छोटे चम्मच-भर सीलिव[१] या केरोल[२] एक क्वार्ट पानीमें मिलाकर जन्तुनाशक पानी तैयार किया जाये। या इतने ही पानीमें इजॉलके तीन चम्मच डाले जायें।