२७०. रामसुन्दर पण्डितका मुकदमा?[१]
[जर्मिस्टन
नवम्बर ११, १९०७]
श्री गांधीने कहा कि यद्यपि वे मोहलतकी अर्जीका विरोध नहीं करना चाहते, तथापि अदालतको सूचित करते हैं कि जहाँतक श्री पण्डितका सम्बन्ध है, औचित्य-समर्थनके लिए अदालतके सामने तथ्य पेश करने के अलावा और कोई सफाई पेश नहीं करनी है। श्री पण्डित स्वीकार करेंगे कि वे बिना अनुमतिपत्रके उपनिवेशमें हैं। मेरे मुवक्किल इस बातके लिए अत्यन्त उत्सुक हैं कि यह मामला जल्द समाप्त कर दिया जाये। कुछ भी हो, वे चार दिनसे हवालातमें बन्द हैं और यद्यपि बीसियों भारतीयोंने उनकी जमानत लेनेकी तत्परता दिखाई है, श्री पण्डित जमानतपर छूटने से इनकार करते हैं। इसलिए श्री गांधीने सुझाया कि यदि इस मामलेमें मोहलत देना स्वीकार किया जाये तो भी पण्डितजी स्वयं अपने वचनपर छोड़ दिये जायें। इसे अदालतने स्वीकार कर लिया।
इंडियन ओपिनियन, १६-११-१९०७
२७१. भेंट: 'ट्रान्सवाल लीडर' को[२]
[जर्मिस्टन
नवम्बर ११, १९०७]
श्री गांधीने मुझे बताया कि यह[३] भारतीयोंके—मुख्यतः मुसलमानोंके—धर्मके विरुद्ध है; क्योंकि इससे अधिनियम के अन्तर्गत आनेवाले प्रत्येक एशियाईकी निजी स्वतन्त्रता छिन जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह खुदाका बंदा होनेके बजाय अधिनियम के अन्तर्गत नियुक्त अधिकारीका बंदा हो जाता है; और जो व्यक्ति ईश्वरमें विश्वास करता है, वह ऐसे
- ↑ रामसुन्दर पण्डित अपने अस्थायी अनुमतिपत्रकी अवधि पूरी होनेपर "ट्रान्सवालमें गैरकानूनी ढंगसे दाखिल होने और रहनेके लिए" ८ नवम्बरको गिरफ्तार किये गये थे। एशियाई मुहकमेको सुझाया गया था कि उनकी गिरफ्तारीका भारतीयोंपर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। एशियाई कानून संशोधन अधिनियमके अन्तर्गत चलाया जानेवाला यह पहला मुकदमा था और यह सहायक अधिवासी मजिस्ट्रेटकी अदालत में दायर किया गया था। सरकारी वकीलने जब एशियाई पंजीयकको अदालत में बुलानेके खयालसे मोहलत माँगी तब गांधीजीने यह दलील पेश की। देखिए दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय, १८ भी।
१२-११-१९०७ के ट्रान्सवाल लीडरकी एक रिपोर्ट के अनुसार, गांधीजीने कहा कि रामसुन्दर पण्डित "अपने आपको सभी प्रकारसे निर्दोष समझते हैं तथा यह मुकदमा लड़ने को तैयार हैं और इसलिए जब भी बुलाये जायेंगे, अदालत के सामने जान्तेसे उपस्थित होंगे।" - ↑ ट्रान्सवाल लीडरके एक संवाददाताने रामसुन्दर पण्डितके मामलेकी पहली सुनवाईकी समाप्तिपर उनकी रिहाई के बाद गांधीजीसे भेंट की थी।
- ↑ पंजीयन।