जब आप "राजद्रोह" की बात कहते हैं, आपका तात्पर्य क्या होता है?
मैंने विशेष रूपसे कहा है कि मैं राजद्रोहकी बात नहीं कहता।
तब उन्होंने अपने धार्मिक कर्तव्योंके अलावा कुछ किया, यह कहनेसे आपका अभिप्राय क्या है? क्या आपका अभिप्राय यह है कि उन्होंने लोगोंसे पंजीयन-अधिनियमको न माननेके लिए कहा?
मैं कल्पनापर आधारित प्रश्नोंका उत्तर नहीं दे सकता।
आप जानते हैं कि उन्होंने एशियाई अधिनियमको माननेके विरुद्ध प्रचार किया है। क्या यह उसका एक पहलू है?
इसका उत्तर है "हाँ"; किन्तु मेरी यह हाँ बिना शर्त नहीं है।
क्या मुल्लाओंके अनुमतिपत्रकी अवधि भी बढ़ाई गई है?
हाँ, और ईसाई तथा दूसरे पुरोहितोंके अनुमतिपत्रोंकी भी।
आपका आशय एशियाइयोंसे है?
जब मैं ईसाइयोंकी बात करता हूँ तो, श्री गांधी, आपको समझना चाहिए कि मेरा तात्पर्य होता है असीरियाइयोंसे।
न्यायाधीशने कहा कि प्रश्न यह नहीं है कि श्री गांधी क्या समझते हैं, बल्कि यह है कि अदालत क्या समझती है।
श्री चैमनेके तरीके
गवाहने बताया कि जब कोई पुरोहित धर्म-प्रचारके उद्देश्यसे ट्रान्सवालमें प्रवेश करने के अनुमतिपत्रके लिए प्रार्थनापत्र देता है, वे (श्री चैमने) उसके मार्गमें कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं करते; किन्तु असीरियाई और मुसलमान इतनी बड़ी संख्या में आते हैं कि उनसे इनको अनुमतिपत्र देना सीमित करनेका अनुरोध किया गया है। सरकारको ऐसे पुरोहितों को अस्थायी अनुमतिपत्र देनेमें कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते कि अनुमतिपत्र जिन शर्तोंपर दिये गये हों उन्हें वे पूरा करें।
क्या आपको उनके सम्बन्ध में जर्मिस्टनी भारतीयोंसे कोई शिकायत मिली है?
मैं समझता हूँ, "जर्मिस्टनी भारतीय" से आपका मतलब जर्मिस्टनवासी भारतीयोंसे है?
हाँ।
तब मुझे उनसे ही शिकायत मिली है।
क्या आपने शिकायतकी जाँच की है?
बेशक।
क्या आपने कभी इन शिकायतोंके सम्बन्धमें अभियुक्तका उत्तर भी सुना है?
नहीं, निश्चय ही नहीं।