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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/३९८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

स्थगित हो जायेगा, किन्तु सम्भव है, श्री रामसुन्दर पण्डित बिना जमानतके छूट जायेंगे। इसलिए लोग सड़कपर आतुरतापूर्वक पण्डितजीका स्वागत करने के लिए खड़े थे।

ठीक ग्यारह बजे पण्डितजीको अदालतमें लाया गया। उनके आते ही अदालत भारतीयोंसे भर गई। सरकारी वकीलने मोहलत माँगी, जिससे प्रिटोरियासे श्री चैमने आ सकें। श्री गांधीने कहा:

"मेरे मुवक्किल चार दिनसे जेलमें हैं। वे जमानतपर नहीं छूटना चाहते। वे उपनिवेश छोड़कर जानेवाले नहीं हैं, बल्कि कानूनके अन्तर्गत सजा भोगेंगे। इसलिए मुकदमा आज ही चल सकता है। प्रिटोरियासे गवाहोंकी आवश्यकता नहीं है। इतनेपर भी यदि मुकदमेको स्थगित करना हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। किन्तु मेरे मुवक्किलको बगैर जमानतके उनकी ही जिम्मेदारीपर छोड़ दिये जानेकी आज्ञा दे दी जाये।"

सरकारी वकीलने कहा कि बगैर जमानतके छोड़नेके बारेमें मैं अपनी सम्मति नहीं दे सकता, क्योंकि मुझे मामलेका ज्ञान नहीं है। श्री गांधीने कहा कि श्री पण्डित भागनेवाले नहीं हैं। भागें, यही तो सरकार चाहती है। फिर, ऐसे आदमीके लिए जमानत क्या हो सकती है, जो समाजके लिए ट्रान्सवालमें रहनेका अधिकार जताता हो और इसलिए सरकारके निकालनेपर भी निकलनेवाला न हो?

मजिस्ट्रेटने यह दलील स्वीकार की और पण्डितजीको उनकी जिम्मेदारीपर छोड़ दिया।

"हुर्रे" की आवाज

पण्डितजीके बाहर निकलते ही हुर्रकी आवाजके साथ सैकड़ों लोगोंने उनका स्वागत किया। फूलोंकी वर्षा की गई और सबने हाथ मिलाये। बादमें बस्तीमें सभा करनेका निश्चय किया गया, इसलिए सब सनातन धर्म सभाके भवनकी ओर चल दिये।

सभा

सभामें श्री लाल बहादुरसिंह द्वारा प्रस्ताव किया जानेपर श्री मौलवी साहब अहमद मुख्त्यार सभापतिके आसनपर विराजमान हुए। मेहमानोंको सभा भवनके अन्दर बैठाकर जर्मिस्टनके लोग बाहर खड़े रहे। मौलवी साहबने भाषण देते हुए कहा कि पण्डितजी बधाईके योग्य हैं। उन्होंने सारे भारतीय समाजकी सेवा की है। जेल सच्चा महल है, यह उन्होंने सिद्ध कर दिया है। समय आनेपर मैं स्वयं भी जेल जानेको तैयार हूँ। मौलवियों और धर्मगुरुओंका कर्तव्य है कि ऐसे दुःखके समय वे लोग आगे बढ़ें।

श्री इमाम अब्दुल कादिरने कहा कि रामसुन्दर पण्डितके उदाहरणसे सबको बहुत हिम्मत बाँधनी चाहिए।

श्री ईसप मियाँने कहा कि सरकारसे किसीको जरा भी डरना नहीं चाहिए।

श्री गांधीने कहा कि अभी तो लड़ाईकी शुरुआत है। इसमें सबसे बड़ी जीत यह है कि हिन्दू-मुसलमान एक होकर सारे समाजके कामके लिए लड़ रहे हैं।

श्री अहमद मूसाजीने पण्डितजीकी तारीफ करते हुए कहा कि वे भी जान रहते पंजीयन नहीं करवायेंगे।

श्री मणिभाईने प्रिटोरिया हिन्दू धर्म सभाकी ओरसे आभार माना।

श्री थम्बी नायडूने कहा, पण्डितजी जेल जायेंगे तभी खरा रंग जमेगा। उनके समान सबको करना है।