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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४०

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

निमन्त्रण पाकर श्री गांधी भी उपस्थित हुए थे। उन्होंने सारी बातें समझाते हुए कहा कि नये कानूनके अन्तर्गत चीनी और भारतीयोंको एक ही माना गया है। नया कानन एशियाई जनताके लिए अपमानजनक है, इसलिए चीनियोंको भी उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। जिन प्रश्नोंका इस 'चिट्ठी में हल बताया गया है, उन्हींका हल उपर्युक्त बैठकमें भी बताया गया। आखिर यही तय हुआ कि हर चीनी अपने धर्मके अनुसार यह शपथ ले कि वह नया अनुमतिपत्र कभी नहीं लेगा, और जेल जाना पड़ा तो जायेगा।

अनुमतिपत्रका मुकदमा

लाला नामक भारतीयपर अभी कुछ दिनोंसे अनुमतिपत्र सम्बन्धी मुकदमा चल रहा है। वह २७ तारीखको श्री वेंडरबर्गके पास चला था। अधीक्षक वरनॉनने बयान देते हुए कहा:

मुझे लोगोंसे अनुमतिपत्र मांगनेका हक है। जो अनुमतिपत्रके आधारपर प्रवेश पाना चाहते हैं उनके हकोंकी जाँच करना भी मेरा काम है। २० अप्रैलको मैंने लालाको अपने दफ्तरके पास देखा। लालाने कहा: “मैं आपके साथ काम करना चाहता हूँ। कई लोग अनुमतिपत्र मांगते हैं। उसके बारेमें यदि आप मुझे सूचना देंगे तो हम दोनों बहुत पैसे कमायेंगे। हर व्यक्तिसे मैं २० पौंड लूंगा। उसमें से ८ पौंड आपको दूंगा। यहाँ झूठे अनुमतिपत्रवाले भारतीय और चीनी बहुत है। उनके अनुमतिपत्र यदि आप सच्चे कर दें तो मैं आपको २० पौंड दूंगा। यह मेरे हाथमें एक अनुमतिपत्र है। इसपर हस्ताक्षर करके पास कर दें। इस तरह आप प्रतिमाह ४०० पौंड कमायेंगे और मैं २०० पौंड कमाऊँगा। और श्री हैरिसको २०० पौंड मिलेंगे। मुझे मालूम है कि जोहानिसबर्गमें झूठे फार्म चलते हैं, और बिना अनुमतिपत्रके बहुत-से भारतीय है।" दूसरे दिन मैंने लालाको बुलाया। वह आया और उसके साथ थोड़ी बात करके घंटी बजाई और उसे पकड़वा दिया। अदालतमें जाते हुए लालाने कहा: “साहब, आपने पैसा कमानेका एक सुनहरा अवसर खो दिया।"

सिपाही हैरिसने भी ऊपर जैसा ही बयान दिया। श्री चैमनेने बयानमें कहा:

मेरा काम अनुमतिपत्रों सम्बन्धी सारी अजियोंकी जाँच करना है। पुलिसकी रिपोर्ट खराब होनेपर शायद ही अनुमतिपत्र दिया जाता है। मेरा फैसला ही निर्णायक माना जायेगा, यद्यपि गवर्नर उस फैसलेको बदल सकता है। भारतीयोंकी अर्जी मैं उपनिवेशसचिवके समक्ष पेश करता हूँ। लाला मेरे पास दो बार आया था। वह कहता था कि कुछ भारतीयोंके पास झूठे अनुमतिपत्र रहते हैं। मैंने एक बार उसे रेलसे बिना किराये आनेकी अनुमति दी थी, क्योंकि उसने कहा था कि मैं तुम्हें कुछ बातें बताऊँगा। लेकिन वह एक भी खबर नहीं लाया।

लालाने बयान दिया:

मेरे पास एक भारतीय अनुमतिपत्रके लिए आया। मैंने उससे 'ना' कहा। उसके बाद उसने अनमतिपत्र बताया जो ठीक नहीं था। उसपर से मैं श्री चैमनेके पास गया

[] देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ५१३।

[] प्रवासी-संरक्षक, बादमें एशियाई पंजीयक नियुक्त किये गये थे; देखिए " जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ ५६।

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