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जोहानिसबर्ग की चिट्ठी


मेरी जानकारीमें ऐसा क्षमा याचना पत्र कभी गोरोंकी ओरसे नहीं लिखा गया। मैं मानता हूँ कि यह विवेकपूर्ण और सन्तोषजनक है। यह उदाहरण दर्जियोंको मान प्रदान करनेवाला है, और सबके शिक्षा लेने योग्य है। गोरोंसे हम नहीं डरेंगे तो वे माल देना बन्द कर देंगे, सो बात नहीं। बन्द कैसे कर सकते हैं? क्या उन्हें पैसे नहीं चाहिए? मैंने यह भी सुना है कि इस पेढ़ीने पिछले पाँच वर्षोंमें भारतीयोंके साथ ६०,००० पौंडका व्यापार किया है, और उसमें से आजतक केवल २३ पौंड ही खोये हैं। भारतीयोंमें प्रामाणिकता होगी तो माल घर बैठे मिलेगा।

मूसा इस्माइल मियाँ

श्री मूसा इस्माइल मियाँ हज करने गये हैं। मैं उन्हें बधाई देता हूँ। उनके बड़े भाई श्री ईसप मियाँ समाजकी सेवा करनेका धर्म-कार्य कर रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि दोनों भाई इहलोक और परलोककी साधना कर रहे हैं। वे सदा धर्मनिष्ठ रहें और कौमकी सेवा करते रहें। लाखों कमानेसे यह कमाई अधिक बड़ी है ।

और दगा?

सुना है कि श्री खमीसाकी दूकानमें गुप्त तरीकेसे पंजीयन पत्र दिये जाते हैं। ऐसे पंजीयनपत्र नौ दिये जा चुके हैं। अर्जी नहीं ली जाती, परन्तु जिसने अर्जी दी हो उसे पंजीयनपत्र दिया जाता है।

कानूने जान ली

एक चीनीने पंजीयनपत्र लेनेके बाद शर्मके मारे आत्महत्या कर ली है। इससे त्रास फैल गया है। चीनी संघ के प्रमुख श्री क्विनने अखबारों निम्नानुसार पत्र लिखा है:

एक चीनी द्वारा आत्महत्या की जानेकी खबर अखबारमें छपी है। उसे पढ़नेके पहले मेरे एक आदमीने मुझे एक पत्र दिया, जो चीनी भाषामें लिखा हुआ था तथा उसपर मरनेवालेके हस्ताक्षर थे। पत्रका अनुवाद इस प्रकार है:

चाऊ क्वाईकी ओरसे चीनी संघके अध्यक्षको १० नवम्बर १९०७:

मैं इस दुनियाको छोड़नेवाला हूँ। इसलिए मैंने आत्महत्या क्यों की, यह लोगोंकी जानकारीके लिए प्रकट कर देना चाहिए। जबसे मैं दक्षिण आफ्रिका आया, घरेलू नौकरका काम कर रहा हूँ। मैं हमेशा अपने सेठके घर रहता हूँ। मेरी बोली दूसरे चीनियोंकी बोलीसे बिलकुल भिन्न है। और मेरे देशबन्धुओंके साथ मेरा बहुत ही कम व्यवहार है। मेरे सेठने पंजीयन करा लेने की सलाह दी थी। पहले मैंने पंजीयन करानेसे इनकार किया। तब मेरे सेठने मुझे नौकरीसे बरखास्त करनेकी धमकी दी। नौकरी छूटनेका डर लगा, इसलिए मुझे लाचारीसे पंजीयन कराना पड़ा। किन्तु तबतक मुझे पंजीयन करानेसे होनेवाली बर्बादीकी जानकारी नहीं थी। बादमें मेरे एक दोस्तने आकर मुझे सारी बातें समझाई और कानूनका चीनी अनुवाद मुझे पढ़ाया। तब मुझे मालूम हुआ कि मेरी तो गुलामों-जैसी हालत हो जायेगी। गुलामी भोगना मेरे और मेरे देशबन्धुओंके लिए कलंकरूप है। ये सारी बातें पंजीयन करानेके पहले मुझे मालूम नहीं थीं। किन्तु अब पछतावा करूँ तो बेकार है। मैं अपने देशभाइयोंको कौन-सा मुँह दिखाऊँ? मुझे आशा है कि मेरी भूलसे मेरे दूसरे देशभाई चेतेंगे।

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