पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७५
पत्र: गो॰ कृ॰ गोखलेको

मण्डली तैयार करें। ऐसे काममें यदा-कदा थोड़ा समय लगा देनेमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। तुम उन्हें यह सुझाव दे सकते हो। यह पत्र उन्हें पढ़कर सुना दो। 'रामायण' का क्या उपयोग करनेका विचार है, सो लिखना। उसका अर्थ कौन बतायेगा, या तुम्हारा विचार[१] छन्दोंको बिना समझे पढ़नेका है?

तुम्हारा शुभचिन्तक,
मोहनदास

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (सी॰ डब्ल्यू॰ ८२) से

सौजन्य: सुशीलाबहन गांधी।

२९२. पत्र: गो॰ कृ॰ गोखलेको

जोहानिसबर्ग
नवम्बर २२, १९०७

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

मैंने आपके नाम श्री अमीरुद्दीन फजंदारके हाथ एक पत्र[२] भेजा है। श्री फजंदार ट्रान्सवालके एक प्रतिनिधिके रूपमें सूरत कांग्रेसमें भाग लेंगे। क्या मैं आपका ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित कर सकता हूँ कि हम यहाँ जिस संघर्षसे होकर गुजर रहे हैं, उसके परिणामस्वरूप हमने यह अनुभव किया है कि हम भारतीय पहले हैं और हिन्दू, मुसलमान, तमिल, पारसी आदि पीछे। आप यह भी देखेंगे कि हमारे सब प्रतिनिधि मुसलमान हैं। मुझे स्वयं इस बातसे प्रसन्नता है। और यह भी हो सकता है कि वहाँ काँग्रेसमें भाग लेनेवाले ऐसे बहुत से मुसलमान हो जायेंगे जिनके सम्बन्ध दक्षिण आफ्रिकासे रहे हैं। क्या मैं आपसे यह अनुरोध कर सकता हूँ कि आप उनके सम्बन्धमें दिलचस्पी लें और उनको पूरा आराम दें? हो सकता है, हिन्दू-मुस्लिम एकता इस कांग्रेसकी एक विशेषताके रूप में सामने आये। संघर्षके शेष समाचार आप समाचारपत्रोंसे जानते ही हैं।

आपका हृदयसे
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (जी॰ एन॰ ४१०९) से।

  1. मूल अंग्रेजीमें यहाँ जो शब्द आये हैं उनका अर्थ होगा "तुम्हारा उद्देश्य "।
  2. देखिए "पत्र: गो॰ कृ॰ गोखलेको", पृष्ठ ३५७।