दूर करना चाहिए तथा श्री रामसुन्दर पण्डितको छुड़ाना चाहिए। ऐसे तार कई जगहोंसे आये हैं। तार भेजनेवाले सब लोगोंके नाम और तारोंका सारांश अगले सप्ताह देनेकी आशा करता हूँ।
अमीरुद्दीनको तार
श्री अमीरुद्दीनके साझी श्री अब्दुल गफूरने उन्हें निम्नानुसार तार भेजा है:
आपकी जिम्मेदारी बड़ी है। अपना फर्ज हिम्मतके साथ निभाइये। आपसे बड़ी आशा रखते हैं। भारतकी प्रतिष्ठा यहाँकी लड़ाईपर निर्भर है। जबतक हम स्वतन्त्र नहीं हो जाते और हमारे बाल-बच्चोंकी स्वतन्त्रता सुरक्षित नहीं हो जाती तबतक आप आराम न लें।
पंजीयन कार्यालयके बेकार प्रयत्न
लछमन नामक व्यक्तिको, जिसने धरनेदारोंके बारेमें बयान दिया था, गलत बयान देने के अपराध में गिरफ्तार किया गया था। वास्तव में मामला तो कुछ था नहीं। इसलिए छोड़ दिया गया। किन्तु लछमनका मामला बताता है कि जो भारतीय पंजीकृत होने जायेंगे वे अपने समाजको कलंकित करेंगे, अपने भाइयोंको गढ़में उतारेंगे और हो सकता है कि स्वयं भी न उबरें। करीम जमालका मामला जिस तरहका था वैसा ही लछमनका भी हो गया है।
इंडियन ओपिनियन, २३-११-१९०७
२९९. भाषण: हमीदिया अंजुमनकी सभामें
[जोहानिसबर्ग
नवम्बर २४, १९०७]
श्री गांधीने प्रतिनिधियोंकी[१] योग्यताकी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कांग्रेसमें भाषण करनेवाले अन्य लोग हैं, इसलिए इस समय अधिक व्यय करनेकी आवश्यकता न होगी। पैसेकी तंगीके कारण अधिक प्रतिनिधियोंकी नामजदगी स्थगित रखनी पड़ेगी। समय भी कम है। पंजाबियों और पठानोंके सम्बन्ध में कुछ समयमें लॉर्ड सेल्बोर्नको पत्र लिखा जायेगा। श्री गांधीने तुर्कीको दृढ़ रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गोरोंकी सभा हुई थी। उसके विवरणसे जान पड़ता है कि सरकार शिथिल हो गई है। यदि भारतीय समाज दृढ़ रहा तो सभी गोरे हमारे पक्षमें हो जायेंगे। गोरोंका शिष्टमण्डल दिसम्बरमें जायेगा। भारतीय अन्ततक डटे रहेंगे, इसमें सरकारको सन्देह है। किन्तु, श्री गांधीने तर्कपूर्वक समझाया, जो साहसपूर्वक और परमात्मामें विश्वास रखकर प्रयत्न करते हैं वे अवश्य सफल होते हैं। उन्होंने प्रिटोरियाके धरनेदारोंकी वीरताके बारेमें बोलते हुए कहा कि मेजर फ्यूज़ उनसे हर दिन ही मिलते रहते हैं। मेजर कोडी आदि उनको उलटा समझाते हैं, किन्तु वे मानते नहीं।
इंडियन ओपिनियन, ३०-११-१९०७
- ↑ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अधिवेशनके लिए चुने गये प्रतिनिधि।