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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४१७

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पत्र: अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके अध्यक्षको


८. आपके प्राथियोंका भारत लौटना और वहां जाकर अपने गुजारेका कोई जरिया खोजना सम्भव नहीं है।

९. आप दक्षिण आफ्रिकामें बड़ी सरकारके हितोंके न्यासी तथा उच्चायुक्त हैं। अतः, इस हैसियतसे, हम विनयपूर्वक आपसे रक्षा पानेके अधिकारका दावा करते हैं।

१०. इसलिए आपके प्रार्थी विनयपूर्वक निवेदन करते हैं कि परमश्रेष्ठ हम लोगोंको इस प्रकारकी राहत दिलायें जो ऐसी परिस्थितिमें सम्भव हो। और न्याय तथा दयाके इस कार्य के लिए प्रार्थी, कर्तव्य मानकर, सदा दुआ करेंगे।

[आपका, आदि,
नवाबखाँ
फजले इलाही]

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: सी॰ ओ॰ २९१/१२२

३०२. पत्र: अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके अध्यक्षको

[जोहानिसबर्ग
नवम्बर २६, १९०७ के पूर्व]

[अध्यक्ष

अखिल भारतीय मुस्लिम लीग

कलकत्ता
महोदय,]

मेरा अंजुमन एशियाई पंजीयन कानूनको लेकर ट्रान्सवालके अन्य भारतीय संगठनों के साथ-साथ, जिस संघर्षमें लगा हुआ है उसके सिलसिलेमें उसने मुझे आपसे कुछ निवेदन करनेको कहा है।

मुझे यकीन है कि भारतीय मुसलमानोंके नाम हमीदिया इस्लामिया अंजुमनने जो गश्ती-चिट्ठी[] भेजी है उसे आप देख चुके होंगे। हमने सभी भारतीय संगठनोंसे उनके स्थानीय राजनीतिक विचार-भेदका खयाल किये बिना, निवेदन किया है। एशियाई कानूनके अन्तर्गत ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंकी स्थितिके प्रश्नपर उनमें किसी प्रकारका मतभेद नहीं है; और खयाल यह है कि हमारे साथ जो अपमानजनक व्यवहार किया जाता है उसका मिलजुल कर जोरदार विरोध किया जाये।

  1. देखिए "भारतीय मुसलमानोंसे अपील", पृष्ठ १७९-८०।
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