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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

बहादुरीका उदाहरण

श्री मुहम्मद मूसा पारेख न्यूकैसिलसे लिखते हैं कि वे स्वयं खास तौरसे कानूनका विरोध करनेके लिए ही दिसम्बरके शुरू होने के पहले वॉकरस्ट्रममें आकर बैठेंगे। उन्होंने यह भी लिखा है:

ऐसे हजारों पंजीयन-दफ्तर खुलें तो भी क्या? जिसने एक बार सच्चे दिलसे खुदा और उसके रसूलको सत्य मानकर शपथ ली हो वह हगिज गुलामीका टोकरा नहीं उठा सकता।
मेरी कामना है कि यह जोश श्री पारेख और सभी भारतीयों में अन्ततक रहे।

एशियाई भोजनालय

पाठकोंको याद होगा, कि इन भोजनालयोंके नियमोंमें नगरपालिकाने यही तय किया था कि मैनेजर गोरा आदमी होना चाहिए। उसपर संघने अर्जी दी थी। अब सरकारने उसमें परिवर्तन करने का आदेश दिया है और उसे नगरपालिकाने स्वीकार किया है।

बग्धीके नियम

बहुत समयसे बात चल रही है कि ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे पहले दर्जेकी बग्धीमें काले आदमी न बैठ सकें। अब नगरपालिकाने ऐसा नियम पास कर दिया है। उसमें कहा गया है कि काला बैरिस्टर या डॉक्टर उसमें बैठ सकेगा। अर्थात् शराबके नशेमें चूर या फटेहाल काला वकील या डॉक्टर तो पहले दर्जेकी गाड़ीमें बैठ सकता है, किन्तु अच्छे कपड़े पहननेवाला लखपति भारतीय व्यापारी नहीं बैठ सकता। और भी विशेषता यह है कि वकील तो बैठ सकता है, किन्तु उसकी पत्नी या लड़का नहीं बैठ सकता। इस नियमके बनानेवालेकी मूर्खताकी सीमा नहीं है। संघने इस कानूनके खिलाफ सरकारके पास अर्जी भेजी है।

स्टैंगरके भारतीयोंका प्रस्ताव

रामसुन्दर पण्डितके जेल जाने के सम्बन्धमें कई जगह सभाएँ हुई और प्रस्ताव पास किये गये हैं। वैसा ही स्टैंगरमें हुआ है। श्री दाउद मुहम्मद सीदत, श्री अहमद मूसा मेतर, श्री मणिलाल चतुरभाई पटेल, तथा श्री अहमद मीठाके हस्ताक्षरसे सहानुभूतिके प्रस्ताव संघको प्राप्त हुए हैं।

सभी तार भेजनेवालों और प्रस्ताव पास करनेवालोंको संघ आभार सूचक पत्र नहीं भेज सका, क्योंकि वह लगभग असम्भव था। तथा, जहाँ सब लोग देशके कष्टोंसे उद्विग्न हों एवं अपना कर्तव्य समझ कर कोई काम करते हों वहाँ उपकार माननेकी जरूरत भी नहीं होती। यह अवसर एक दूसरेके गुण गानेका या उपकार माननेका नहीं है। किये हुए कर्तव्यका ज्ञान ही उपकार मानना है।

खोलवाड़ मदरसा

श्री गुलाम मुहम्मद आजम बम्बईसे लिखते हैं कि उन्हें ९२१ पौंड १० शिलिंग मिले हैं। वे उस रकमसे [मदरेसेके लिए] मकान खरीदनेकी तजबीज कर रहे हैं। किन्तु उन्होंने लिखा है कि रकम इतनी कम है कि उसमें अच्छा मकान मिलना मुश्किल है। उन्हें न्यास-पत्र और मुख्त्यारनामा भी मिल गया है।