करनी हो तो अविवाहित रहना उत्तम मार्ग है। महान देशभक्त मैजिनी[१] कहा करते थे कि उनका विवाह तो देशके साथ हुआ है।
आखिरी बात यह है कि ऐसे सेवकमें श्रद्धा चाहिए। उसे यह विचार करने की आवश्यकता नहीं कि कल रोटी कहाँसे मिलेगी। जिसे दाँत दिये हैं, उसे चबेना देनेका ध्यान मालिक रखेगा ही।
इंडियन ओपिनियन, १-६-१९०७
८. तार:तैयबको
[जोहानिसबर्ग]
जून १, १९०७
२१ तारीखका उत्तर क्यों नहीं?[३] शीघ्र उत्तर दीजिए।
गांधी
हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ३८३५) से।
९. पत्र:प्रधानमन्त्रीके सचिवको[४]
जोहानिसबर्ग
जून १, १९०७
परममाननीय प्रधानमन्त्री
प्रिटोरिया
चूंकि एशियाई पंजीयन अधिनियम अभीतक साम्राज्यीय सरकार और स्थानीय सरकारके बीच पत्र-व्यवहारका विषय बना हुआ है, इसलिए मेरे संघने मुझे आदेश दिया है कि मैं प्रधानमंत्रीके सामने एक ऐसा सुझाव रखनेके लिए भेंट करनेकी अनुमति प्राप्त करूँ जिसके अनुसार अधिनियमको 'गज़ट' में प्रकाशित करनेकी आवश्यकता ही न रहे। कुछ भी हो, यदि