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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४३

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सच्ची रायें

जनरल बोथा, अधिनियमके सम्बन्धमें आगे कोई कदम उठाने से पहले, मेरे संघके शिष्टमण्डलसे भेंट करनेके लिए समय दें तो मेरा संघ उनका बहुत आभारी होगा।

मैं आपका कृतज्ञ होऊँगा, यदि आप कृपापूर्वक मालूम करेंगे कि क्या प्रधानमन्त्रीको हमारे संघके एक छोटे-से शिष्टमण्डलसे मिलना सुविधाजनक होगा। यदि, हाँ, तो कब?[]

आपका आज्ञाकारी सेवक,
ईसप इस्माइल मियाँ
कार्यवाहक अध्यक्ष,
ब्रि॰ भा॰ सं॰[]

[अंग्रेजीसे]

प्राइम मिनिस्टर्स आर्काइब्ज़, प्रिटोरिया:फाइल १४/१/१९०७

१०. सच्ची रायें

हमें हर्ष है कि विधानसभाके सदस्य श्री सी॰ पी॰ रॉबिन्सन अपने निर्वाचकोंसे कुछ खरी बातें कहते आ रहे हैं और वे एक अप्रिय विषयको सही ढंग से निभानेमें हिचके नहीं। श्री रॉबिन्सनकी रायमें परवाना अधिकारियोंका, भारतीय प्रार्थियों और दूसरोंके बीच ऐसा भेद करना कि उससे भारतीयोंको हानि पहुँचे, निन्दनीय और अन्यायपूर्ण है; और विशेषकर उस दशामें जब यह चालू व्यापारिक अधिकारियोंका मामला हो। श्री रॉबिन्सनका यह भी खयाल है कि यदि उपनिवेश भारतीय प्रश्नको हाथमें लेना चाहता है तो उसे स्पष्ट, निर्भीक और सच्चे ढंगसे ऐसा करना चाहिए। न्याय और निष्पक्षताका ऐसे सम्मानपूर्ण ढंग से पक्ष ग्रहण करनेके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं। यदि हमारे सभी विधायक ऐसा ही निर्भीक रुख अख्तियार करें तो शीघ्र ही उपनिवेशको वाक्छल और मक्कारीसे बहुत कुछ मुक्ति मिल जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-६-१९०७

११. केपका प्रवासी कानून

हम उस भीषण कहानीकी तरफ लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं जो मेफेकिंगके एक संवाददाताने केपके प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमके अमलके बारेमें लिखी है। हमारे संवाददाताके कथनानुसार जो भारतीय अपने दस साल पुराने कारोबार और भूसम्पत्ति केपमें छोड़कर भारतको लौट गये थे और जिन्होंने यहाँसे रवाना होनेसे पहले यहाँके अधिवासी प्रमाणपत्र नहीं लिये थे उन्हें फिरसे केप लौटनेमें कठिनाईका सामना करना पड़ रहा है। इसी

  1. प्रधानमन्त्रीने शिष्टमण्डलको भेंट नहीं दी।
  2. ब्रिटिश भारतीय संघ, जोहानिसबर्ग।