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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४२२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

नोटिस ही मिलेगा

इसपर बहुत करके तो नोटिस ही मिलेगा। उसकी अवधि समाप्त हो जानेपर भी वकीलकी जरूरत नहीं है। अवधि समाप्त होने तक तो वह व्यक्ति स्वतन्त्र रहेगा। इस बीच उसे अपनी कुछ व्यवस्था करनी हो तो करे।

नोटिस पूरा होनेपर

नोटिस पूरा हो जाने के बाद वह फिर पकड़ा जायेगा। इस समय कुछ अधिक बयान नहीं देना है। केवल इतना कहना है कि "मैंने पहले जो कहा है उससे अधिक मुझे कुछ नहीं कहना।" उसके बाद जो सजा मिले उसे भोगा जाये। जो लोग बाहर रहें, उन्हें सजाके सम्बन्ध में तुरन्त तार करना चाहिए। सजा प्राप्त व्यक्तिके बाल-बच्चे हैं या नहीं, वे कहाँ हैं, उसके भरण-पोषणका बोझ उस व्यक्तिने समाजपर डाला है या उसके पैसे पास हैं, वगैरा बातें तारमें लिखी जायें।

इतना याद रखना चाहिए कि जिसके बारेमें उचित मालूम होगा, उसके बाल-बच्चोंका भरण-पोषण जेलसे छूटने तक समाज करेगा। अच्छी बात तो यह है कि हर जगह लोग अपने-अपने आदमियोंका बोझ उठा लें, जैसे रामसुन्दर पण्डितके बाल-बच्चोंका बोझ जर्मिस्टनके भारतीयोंने उठाया है। किन्तु यदि वैसा न हो सके तो संघ तो व्यवस्था करेगा ही।

यदि जोहानिसबर्ग में गिरफ्तार नहीं किया गया और रोक-टोक न की गई तो श्री गांधी बिना शुल्कके वहाँ जायेंगे, जहां भारतीय (सच्चे अधिवासी) गिरफ्तार किये गये होंगे। उनका किराया यदि वह गाँव दे तो इसमें उसकी शोभा होगी; किन्तु यदि वहाँसे गाड़ी किराया न मिले, तो संघ देगा और श्री गांधी वहाँ पहुँचेंगे।

जेल जानेवालेके व्यापारके बारेमें कुछ कहनेकी आवश्यकता नहीं रहती। उस व्यक्तिने अपने व्यापारके बारेमें पहलेसे बन्दोबस्त कर रखा होगा। सरकार किसीकी दूकानको बन्द नहीं कर सकती। जुर्माना वसूल करनेके लिए वह माल नीलाम कर दे, सो भी नहीं होगा। एक ही दुकानके सभी व्यक्ति एक ही साथ पकड़ लिये जायें, यह भी बहुत सम्भव नहीं दीखता। जेलमें बैठे-बैठे भी वह आदमी अपने कामकी कुछ व्यवस्था कर सकता है, किसीको लिख सकता है या सन्देश भेजा जा सकता है।

बाहरवाले क्या करें?

एक या अधिक लोगोंको जेलमें भेजकर दूसरे बैठे रहें, यह सरल रास्ता है। किन्तु इससे घबड़ाहट पैदा हो और हमें भी गिरफ्तार किया जायेगा इस दहशतसे कोई पंजीयन करानेको दौड़ पड़े, तो वह देशका दुश्मन माना जायेगा और उसके द्वारा भारतीयोंके नामको बट्टा लगेगा ।

खरी कसौटी

खरी कसौटी इसीमें होगी कि नेताओंके जेलमें चले जानेपर भी लोग घबड़ायें नहीं, बल्कि जोर दिखायें और कानूनको न मानें। इतना जब साफ तौरसे साबित हो जायेगा तभी कानून रद होगा। यह हम खूब याद रखें।