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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

हमीदिया इस्लामिया अंजुमनका पत्र

अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके अध्यक्षके नाम इस अंजुमनने निम्नलिखित पत्र[१] भेजा है:

मेरा अंजुमन एशियाई कानूनकी ओर आपका ध्यान खींचता है। अंजुमनने भारतीय मुसलमानोंको जो पत्र लिखा है, उसे आप जानते ही होंगे। हमने राजकीय विषयोंमें उतरे बिना सभी प्रकारके संगठनोंके सामने अपनी फरियाद पेश की है। इस विषयमें मतभेद नहीं है। इससे हम चाहते हैं, कि इस सम्बन्धमें सभी संगठनोंकी ओरसे एक स्वरसे पुकार की जाये। इसलिए मेरा अंजुमन आशा करता है कि अखिल भारत मुस्लिम लीग इस सम्बन्धमें आवाज उठायेगी।

गोरोंके शिष्टमण्डलका क्या हुआ?

कुछ गोरे सरकारके पास शिष्टमण्डल ले जाना चाहते थे, यह खबर मैं दे चुका हूँ। शिष्टमण्डल अभी तक गया नहीं, इससे कुछ भारतीय अधीर हो गये हैं। मुझे कहना चाहिए कि यह अधीरता भीरुताका लक्षण है। शिष्टमण्डल जाये तो क्या और न जाये तो क्या? हम तो अपनी हिम्मतपर निर्भर हैं। इतनेपर भी भीरुओंको हिम्मत देनेके लिए मैं खबर देता हूँ कि शिष्टमण्डलके लिए तैयारी हो रही है। वह केवल यह देखने के लिए आतुर है कि हममें कितना पानी है। दिसम्बरके पहले यह मालूम हो जानेकी सम्भावना नहीं है; इसलिए शिष्टमण्डल नहीं गया। फिर भी जो लोग बाहरकी मददके बलपर ही टिके हुए हैं, वे यदि निराश हों तो आश्चर्य नहीं।

एक धरनेदारका मामला

श्री पी॰ के॰ नायडू एक धरना देनेवाले स्वयंसेवक थे। उनकी एक मद्रासीसे पंजीयनपत्रके सम्बन्धमें तकरार हो गई थी। मद्रासीने पंजीयनपत्र ले लिया था, इसलिए श्री नायडूने उसे पीटा था। श्री नायडूके मुकदमेकी सुनवाई (मंगलवारको) हुई। उनको १० पौंड जुर्माना हुआ। वह जुर्माना उनके मित्रोंने दे दिया। इस सम्बन्धमें मजिस्ट्रेटने टीका करते हुए कहा कि यह मामला पंजीयनके सम्बन्ध में है, इसलिए सच देखा जाये तो उसे जुर्मानेके बजाय जेलकी सजा दी जानी चाहिए। मुझे स्वयं तो श्री नायडूसे कोई हमदर्दी नहीं है। ऐसे मामलोंसे हमारा ही नुकसान होता है। मारपीटकी बात इस लड़ाईमें है ही नहीं। इसके अलावा जुर्माना देकर छूटनेको मैं और भी खराब मानता हूँ। जुर्माना सगे-सम्बन्धियोंने दिया, यह उन लोगोंके लिए भी बदनामीकी बात है। जो मारपीट करके या दबाव डालकर लोगोंको पंजीकृत होनेसे रोकनेकी बात सोचते हैं, वे इस भव्य-धार्मिक स्वदेश हितकी लड़ाईको समझते ही नहीं।

पंजाबियोंकी याचिका

पंजाबियोंने लॉर्ड सेल्बोर्नके पास जो याचिका भेजी[२] है उसका अनुवाद निम्नानुसार है;

हम पुराने भारतीय सैनिक हैं। हममें ४३ पंजाबी मुसलमान, १३ सिख, तथा ५४ पठान हैं। हम सब ब्रिटिश प्रजा हैं। हमें बोअर युद्धके समय यहाँ लाया गया था।

  1. यहाँ पत्रका सारांश मात्र दिया गया है। मूल अंग्रेजी पत्रके अनुवाद के लिए देखिए "पत्र: अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके अध्यक्षको", देखिए पृष्ठ ३८५-८६।
  2. मूल अंग्रेजी पत्रके अनुवादके लिए देखिए "प्रार्थनापत्र: उच्चायुक्तको", पृष्ठ, ३८४-८५।