जब हम दक्षिण आफ्रिकामें आये, हमारे अधिकारियोंने कहा था कि लड़ाईके बाद आप लोग ट्रान्सवालमें चाहे जिस हिस्सेमें रह सकेंगे।
हममें से कुछ लोग चित्रालकी चढ़ाई, तीरा-मुहिम और दूसरी लड़ाइयोंमें ब्रिटिश सरकारकी ओरसे लड़े हैं।
हममें से बहुत लोग एशियाई कानून सम्बन्धी लड़ाईके कारण अभी बेकार हैं। कुछ लोगोंको पंजीकृत न होनेके कारण नौकरीसे बरखास्त होना पड़ा है। कुछ लोगोंसे यह कहा गया है कि नये कानूनके अन्तर्गत पंजीकृत हो जाओ तो नौकरी मिलेगी।
किन्तु हमारी नम्र रायमें एशियाई कानूनके सामने झुकना हमारे लिए असम्भव है। क्योंकि उस तरहका अपमान हमने कभी नहीं भोगा। हम सैनिक होकर अपनी इज्जत और दर्जा क्यों गँवायें?
भारत लौटना अब हमारे लिए सम्भव नहीं है।
इसलिए आदरपूर्वक निवेदन करते हैं कि आप दक्षिण आफ्रिकामें बड़ी सरकारके न्यासीके समान हैं अतः आपको हमें संरक्षण देना चाहिए।
इसलिए हम आशा करते हैं कि आप हमें यथासम्भव संरक्षण प्रदान करेंगे।
एक चीनीने आत्मघात किया था। उसकी स्मृतिमें चीनी संघने आज (बुधवारको) एक सभा की थी। इस सभाको देखनेवालेके मनमें चीनियोंके प्रति सद्विचार आये बिना रह ही नहीं सकते। इन लोगोंने अपना सुन्दर सभा-भवन काले कपड़ोंसे सजा दिया था। उसमें एक ओर मृत चीनीकी तसवीर रखी थी। बीचमें धरना देनेवाले स्वयंसेवक खड़े थे। आसपास कुर्सियाँ रखी गई थीं, जिनपर आमन्त्रित लोगोंको बैठाया गया था। लगभग एक हजार चीनी अपने हाथोंमें फूलकी मालाएँ लिये बहुत धीरे-धीरे तसवीरके पास गये और मृतात्माके लिए दुवा माँगते हुए दूसरे दरवाजेसे निकल गये। ये सब लोग बहुत ही साफ-सुथरे कपड़े पहनकर आये थे। बादमें उन्होंने चीनी भाषामें मर्सिया गाया। मर्सिया गा चुकनेके बाद दूसरे सभाकक्ष में सभा हुई। सभा-कक्ष पूरा भर गया था। वहाँ उनके प्रमुख श्री क्विनने चीनी और अंग्रेजीमें भाषण दिया। फिर श्री गांधी और श्री पोलकने कानूनके बारेमें समझाया, और बैठक समाप्त हुई। उनकी एकता, उनका साफ-सुथरापन और उनकी हिम्मत, तीनों बातें हमारे लिए अनुकरणीय हैं।
प्रिटोरियामें मारपीट
श्री हाजी इब्राहीम एक गद्दार हैं। उन्हें एक पठान श्री बनुतखाँनने मारा था। उस पठानपर मुकदमा चल रहा है। उसकी पूरी खबर अभी नहीं मिली है। दिखाई यह पड़ता है कि पंजीयन पत्र लेने और शपथ तोड़नेके कारण बनुतखाँनने हाजी इब्राहीमको लकड़ी मारी। इसपर हाजी इब्राहीमने उसे पछाड़ दिया और वह उसपर चढ़ बैठा। बनुतखानने छूटनेके लिए उसका गाल नोच लिया। बनुतखानकी जमानत पहले १०० पौंड रखी गई थी, क्योंकि श्री चैमनेने खबर दी थी कि उसने उन्हें भी धमकी दी थी। किन्तु आधा मुकदमा हो जानेपर जमानत ५० पौंड कर दी गई थी। मजिस्ट्रेटने बनुतखानको २० पौंड जुर्माना किया है और वह रकम उसने दे दी है।