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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४२६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

मणिलाल देसाईका पत्र

प्रिटोरियाके मुख्य धरनेदार श्री मणिलाल देसाईने अखबारोंको पत्र लिखा है कि धरना देनेवाले मारपीट बिलकुल नहीं करते, न बल प्रयोग करते हैं। वे बहुत ही धीरे और प्रेमसे कानूनकी बारीकियाँ समझाते हैं तथा उससे होनेवाली अड़चनोंका बयान करते हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३०-११-१९०७

३०४. भाषण: चीनी संघमें[]

[जोहानिसबर्ग
नवम्बर २७, १९०७]

उन्होंने कहा कि ऐसे अवसरपर इस अधिनियमपर विचार करना धर्मभ्रष्टताका कार्य जैसा लगता है; परन्तु चूँकि अध्यक्षने एक उदाहरण[] उपस्थित कर दिया है, मुझे उसका अनुसरण करना ही है, और विशेषकर इसलिए कि जिस संस्कारमें हम लोगोंने अभी हालमें भाग लिया है वह इस अधिनियमसे इतना अधिक सम्बद्ध है। मैंने प्रायः यह आक्षेप सुना है कि चीनी लोग मानव-जीवनकी वैसी कद्र नहीं करते जैसी कि अन्य लोग करते हैं। परन्तु यदि मुझे इस सम्बन्धमें कभी कोई भ्रम था तो वह आज अपराह्नमें मैंने जो-कुछ देखा, उससे दूर हो गया है। अच्छा होता, यदि जनरल स्मट्सने उस महान संस्कारको देखा होता जिसमें हम लोगोंने भाग लिया था। मेरा विचार है, उस दशामें जनरल स्मट्सने यह कहनेसे पहले, कि उन्होंने अपना चरण जहाँ रोपा है उसे वे वहीं रोपे रहेंगे, दुबारा सोचा होता। एशियाई अधिनियमसे लड़नेकी सलाह मैंने दी और मैं अब भी महसूस करता हूँ कि मैंने वही किया है जो ठीक, उचित और न्यायानुकूल है। मैंने अपने देशवासियोंको वह सलाह दी है और मुझे आपको भी, साथी एशियाइयोंके रूपमें, वही सलाह देनमें कोई हिचक नहीं है। मैंने ब्रिटिश प्रजाजनों और गैर-ब्रिटिश प्रजाजनोंके बीच एक रेखा खींचनेका कठिन और सुदीर्घ प्रयास किया। मैंने यहाँकी सरकारसे, और साम्राज्यीय सरकारसे भी, जोरोंसे प्रार्थनाएँ कीं कि कमसे-कम ब्रिटिश प्रजाजनों और अन्य एशियाइयोंमें कुछ भेद तो किया ही जाना चाहिए। साम्राज्यीय सरकार और स्थानीय सरकार, दोनोंने जोरके साथ उत्तर दिया, "नहीं"। और यद्यपि मैंने अपने देशवासियोंके लिए और स्वयं अपने लिए उन सब अधिकारोंकी माँग की जो ब्रिटिश प्रजाजनोंको समुचित रूपसे प्राप्त होने चाहिए, तथापि वह माँग शीघ्रतासे ठुकरा दी गई और ब्रिटिश भारतीय तथा अन्य एशियाई एक ही श्रेणीमें रख दिये गये।

  1. चाउ क्वाई नामक एक चीनीने पंजीयनके सामने झुकनेसे होनेवाले अपमानका अनुभव करके आत्महत्या कर ली थी। उसकी स्मृतिमें एक सभा हुई। चीनी संघके अध्यक्ष श्री क्विनने गांधीजीको इस सभामें भाषण देनेके लिए आमंत्रित किया था।
  2. उन्होंने श्रोताओं को एशियाई कानून संशोधन अधिनियम के लादे जानेका विरोध करनेके लिए प्रोत्साहित किया था।