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खूनी कानून तथा उसके अन्तर्गत बनाये गये विनियम


१४. किसी भी एशियाईकी आयुका प्रश्न खड़ा होनेपर यदि वह प्रमाणोंके साथ और कोई आयु सिद्ध न कर सके तो पंजीयक द्वारा निश्चित की हुई आयु ही सही मानी जायेगी।

१५. इस कानूनके अन्तर्गत जो हलफनामा देना पड़ेगा उसपर टिकटकी आवश्यकता नहीं है।

१६. जो व्यक्ति पंजीयन प्रमाणपत्रके सम्बन्धमें कुछ धोखा देगा, अथवा झूठ बोलेगा, अथवा दूसरे व्यक्तिको झूठ बोलने के लिए प्रोत्साहन देगा या सहायता करेगा, अथवा जाली पंजीयनपत्र काममें लायेगा, अथवा वैसा पंजीयनपत्र दूसरोंको काममें लानेके लिए देगा, उसपर ५०० पौंड तक जुर्माना होगा, अथवा दो वर्ष तक की कड़ी या सादी कैदकी सजा होगी।

१७. उपनिवेश-सचिव अपनी इच्छानुसार किसी भी एशियाईको मुद्दती अनुमतिपत्र दे सकते हैं। उस अनुमतिपत्रकी अवधि समाप्त हो जानेपर वह व्यक्ति बिना अनुमतिपत्रका माना जायेगा। फिर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है; इसपर शान्ति-रक्षा अध्यादेशके खण्ड ७, ८ और ९ लागू होंगे; और उस कानूनकी रूसे उसे उपनिवेश छोड़नेका हुक्म हो गया है, ऐसा मानकर सजा दी जायेगी। आजतक ऐसे जितने भी अनुमतिपत्र दिये जा चुके हैं उन सबपर यह कानून लागू समझा जायेगा। मियादी अनुमतिपत्रवालेको शराबकी छूट मिल सकती है। अलावा इसके, जिन एशियाइयोंपर यह कानून लागू नहीं होता, उन्हें भी उपनिवेश-सचिव शराबकी छूट दे सकते हैं।

१८. गवर्नर निम्न लिखित कामोंके लिए नियम बना सकते हैं:

(१) पंजीयनपत्र किस प्रकारका रखा जाये।
(२) पंजीयनपत्रके लिए अर्जी किस प्रकार की जाये, किस रूपमें दी जाये, उसमें दी जानेवाली हकीकतें क्या हों, हुलियामें क्या-क्या लिखा जाये।
(३) पंजीयन-प्रमाणपत्र किस प्रकारका लिया जाये।
(४) आठ वर्षसे कम आयुवाले बालकका अभिभावक, वह एशियाई जिससे खण्ड ९ के अनुसार पंजीयनपत्र माँगा जाये, खोये हुए पंजीयनपत्रकी प्रतिलिपि माँगनेवाला एशियाई तथा व्यापारिक परवानेके लिए अर्जी देनेवाला कोई भी एशियाई क्या-क्या हकीकतें, और कौन-कौनसा हुलिया दे।
(५) खण्ड १७ के अनुसार किस प्रकार अनुमतिपत्र दिया जाये।

१९. प्रत्येक एशियाई अथवा एशियाईके अभिभावकपर, यदि वह अपने लिए ऊपर निर्दिष्ट की गई बातें नहीं करता, और यदि इसके लिए कोई अन्य सजा निर्धारित नहीं की गई है, १०० पौंड तक जुर्माना किया जायेगा अथवा उसे तीन महीने तक का सपरिश्रम या सादा कारावास दिया जायेगा।

२०. चीनियोंसे सम्बन्धित नौकरीका कानून [श्रम आयात अध्यादेश] एशियाइयोंपर लागू नहीं होगा।

२१. १८८५ के कानूनकी तारीखसे पहले यदि किसी एशियाईने अपने नामपर जमीन खरीदी होगी तो उसके उत्तराधिकारीको वह जमीन पानेका अधिकार होगा।

२२. जबतक सम्राट् स्वीकृति न दें और वह स्वीकृति 'गजट' में प्रकाशित न हो जाये तबतक यह कानून अमल नहीं आयेगामें।