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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय


नये कानूनमें उल्लिखित १९०३ के शान्ति-रक्षा अध्यादेशके कुछ खण्ड

६. जो व्यक्ति पंजीयन न होने के कारण गिरफ्तार किया जायेगा उसे सीधे मजिस्ट्रेटके पास ले जाया जाये। और यदि वह व्यक्ति उपनिवेशमें रहनेका अपना हक साबित न कर सके, तो उसे मजिस्ट्रेट अपनी मर्जीके मुताबिक निश्चित अवधिके भीतर उपनिवेश छोड़नेका नोटिस दे । परन्तु यदि वह व्यक्ति यह बता सके कि उसके पास अनुमतिपत्र है, किन्तु उसे प्रस्तुत नहीं कर सकता, अथवा यह बता सके कि वह उस वर्गका व्यक्ति है जिसे अनुमतिपत्र रखनेकी आवश्यकता नहीं है, तो बादमें अधिक प्रमाण पेश करनेके लिए मजिस्ट्रेट उसकी जमानत लेकर उसे छोड़ सकता है। यदि वह जमानतकी शर्तें तोड़े, तो जमानतपत्रके मुताबिक उसका पैसा जब्त कर लिया जायेगा।

७. जिस व्यक्तिको उपनिवेश छोड़नेका हुक्म दिया गया हो, पर उसने उपनिवेश नहीं छोड़ा हो, तो उसे तथा जिस व्यक्तिने उसकी जमानत ली हो और जमानतकी शर्त उपर्युक्त धाराके अनुसार टूट गई हो तो उसे भी बिना वारंटके गिरफ्तार किया जा सकता है। गुनाह साबित होनेपर मजिस्ट्रेट उन्हें कमसे-कम एक महीने और अधिक से अधिक ६ महीनेकी सख्त अथवा सादी कैदकी सजा दे सकता है। साथ ही वह उसे ५०० पौंड जुर्माना कर सकता है। तथा जुर्माना न देनेपर ६ महीने तक की अतिरिक्त कैदकी सजा दे सकता है।

८. उपर्युक्त धाराके मुताबिक जेलकी सजा भोगकर छूटनेपर यदि कोई व्यक्ति [उपनिवेशसचिवसे लिखित[१] आज्ञा लिये बिना] उपनिवेशमें ७ दिनसे अधिक रहेगा, तो उसपर फिरसे मुकदमा चलाया जायेगा और उसे कमसे-कम ६ महीने और अधिकसे-अधिक १२ महीनेकी जेलकी सजा देने अथवा ५०० पौंड तक जुर्माना करने और यदि वह न दे, तो अतिरिक्त ६ महीने तक की जेलकी सजा देनेका मजिस्ट्रेटको अधिकार है।

९. जो व्यक्ति:

(१) झूठे तरीकेसे अनुमतिपत्र लेगा अथवा दूसरेको लेनेमें मदद करेगा;
(२) और झूठे ढंगसे लिये हुए अनुमतिपत्रका उपयोग करेगा अथवा दूसरेसे करवायेगा;
(३) अथवा झूठे ढंगसे मिले हुए अनुमतिपत्रके सहारे, अथवा जो अनुमतिपत्र बाकायदा नहीं मिला हो उसके सहारे दाखिल होगा, अथवा दाखिल करानेका प्रयत्न करेगा, उस मनुष्यको ५०० पौंड तक का जुर्माना होगा, अथवा २ वर्ष तक की जेलकी सजा दी जायेगी, या दोनों सजाएँ मिलेंगी।

१०. जब वाजिब कारणोंसे लेफ्टिनेन्ट गवर्नरको सन्तोषजनक ढंगसे इस बातका विश्वास हो जायेगा कि अमुक व्यक्ति उपनिवेशमें शान्ति अथवा सुशासनको खतरा पहुँचानेवाला है, तब वह उस व्यक्तिको निश्चित अवधिके भीतर उपनिवेश छोड़नेको हुक्म दे सकता है; और यदि ऐसा व्यक्ति अवधि बीतनेपर उपनिवेशमें देखा जायेगा तो उसके विरुद्ध ऊपर बताये गये खण्ड ७ और ८ के मुताबिक मुकदमा चल सकता है और उनके मुताबिक उसे सजा मिल सकती है।

  1. ये शब्द अंग्रेजी पाठके आधारपर जोड़े गये हैं।