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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४४०

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

उसको पुनः गिरफ्तार करनेका मार्ग तब भी खुला रहेगा, क्योंकि उनके मुवक्किलकी यह देश छोड़नेको इच्छा नहीं है, वरन् यहाँ[] बने रहने के अपने अधिकारका दावा करनेकी है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १४-१२-१९०७

३११. पत्र: उपनिवेश सचिवको

जोहानिसबर्ग
दिसम्बर ७, १९०७ के पूर्व

सेवामें

माननीय उपनिवेश सचिव
[प्रिटोरिया

महोदय,]

मेरे संघने मुझे निर्देश दिया है कि मैं आपका ध्यान परिवहन-उपनियमोंके उस संशोधनकी ओर आकर्षित करूँ, जो जोहानिसबर्ग नगरपालिकाने प्रथम श्रेणीकी घोड़ागाड़ियोंके सम्बन्ध में पास किया है।[] यदि सरकार इस संशोधनको स्वीकार कर लेती है तो इससे ब्रिटिश भारतीयों द्वारा प्रथम श्रेणीकी घोड़ागाड़ियोंके उपयोगपर रोक लग जायेगी। मेरे संघका निवेदन है कि इस प्रकारका भेदभाव सर्वथा अनावश्यक और क्षोभकारी होगा।

कुछ विशेष धंधोंमें लगे एशियाइयोंको जो छूट दी गई है उससे तो समाजने अपमानका ही अनुभव किया है, और कुछ नहीं। प्रसंगवश, मेरा संघ आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करता है कि जहाँ किसी उदात्त धंधे में लगे लोग प्रथम श्रेणीकी घोड़ागाड़ियोंका उपयोग कर सकते हैं, उनकी पत्नियाँ तथा उनके बच्चे स्पष्टत: इस सुविधासे वंचित हैं।

मेरा संघ यह विश्वास करने का साहस करता है कि सरकार कृपाकर उस समाजके साथ, जिसका मेरा संघ प्रतिनिधित्व करता है, न्याय करने के लिए उक्त संशोधनको अस्वीकार कर देगी।

[आपका, आदि,
ईसप मियाँ
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ]

इंडियन ओपिनियन, ७-१२-१९०७
  1. और आगे बहसके बाद मजिस्ट्रेटने इस मामलेको जोहानिसबर्ग वापस भेज दिया, जिससे खर्च और देरी बचाई जा सके। उसने मुहम्मद इशाकको स्वयं अपने विबन्धपर छोड़ दिये जानेकी आज्ञा दी। जब ११ दिसम्बरको जोहानिसबर्ग में यह मामला श्री जॉर्डनके समक्ष सुनवाई के लिए लाया गया तब उसी धाराके अन्तर्गत मुकदमा चलाया गया जिसके अन्तर्गत ९ दिसम्बरको ३७ भारतीयोंका मुकदमा सुना गया था। (देखिए "भारतीयोंका मुकदमा", पृष्ठ ४१९-२०)। जो गवाहियाँ गुजरीं वे भी उसी प्रकारकी थीं। इंडियन ओपिनियनने १४-१२-१९०७ को इसका यह विवरण छापा: "श्री गांधीने अपराधीकी ओरसे बिना कोई गवाह पेश किये उसकी रिहाईकी माँग की। श्री जॉर्डनने एक विचारपूर्ण फैसला सुनाया। उसमें उन्होंने शान्ति-रक्षा-अध्यादेशकी उन धाराओंकी पूर्ण व्याख्या की जिनका इस मामलेसे सम्बन्ध था, और अपराधीको रिहा कर दिया। अदालत भारतीयोंसे ठसाठस भरी थी।"
  2. देखिए "पत्र: जोहानिसबर्ग नगरपालिकाको", पृष्ठ २०९।