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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय


इमाम कादिरने बताया कि ईमानदारोंके लिए डरनेका कोई कारण नहीं है। वे स्वयं धरना देनेवाले हैं और यदि सरकारने सबसे पहले उन्हें पकड़ा तो वे खुश होंगे।

श्री मणिभाई देसाई (प्रिटोरिया) बोले कि धरना देनेवालोंको यदि पहले गिरफ्तार किया गया तो वे उस बोझको बहुत खुशीसे झेल लेंगे।

एक धरनेदार कानमियाँने, जिनका नाम मुझे मालूम नहीं है, कहा कि वे स्वयं बिलकुल नहीं डरेंगे।

श्री अब्दुल गनीने कहा कि इस लड़ाईमें खुदाकी मदद है, क्योंकि लड़ाई सच्ची है। हमें जेल जाने से जरा भी नहीं डरना चाहिए।

श्री नायडूने तामिल भाषामें समझाया।

हजरत इमाम हुसैनको जो कुछ सहना पड़ा था उसका जिक्र करते हुए श्री शाहजी साहबने कहा कि रामसुन्दर पण्डितपर जो बीता है वह मुल्ला मौलवियोंके साथ भी हो सकता है। ऐसा सोचकर उनसे रहा नहीं गया, और वे पण्डितजीके पीछे जेल जानेको तैयार हो गये।

श्री उमरजी सालेने कहा कि वे स्वयं जेलसे डरनेवाले नहीं हैं।

श्री कुवाड़ियाने कहा कि सरकार दूकानदारोंपर हाथ डाले और उन्हें दूकानें बन्द करनी पड़ें तो हर्ज नहीं। इससे और भी जल्दी छुटकारा मिलेगा।

श्री खुरशेदजी देसाई (क्रूगर्सडॉर्प) ने बताया कि काफिरोंको पास प्राप्त करने में कितनी कठिनाई होती है।

श्री अब्दुल रहमान (पॉचेफ्स्ट्रम) ने कहा कि पॉचेफ्स्ट्रम एकदम जोरमें है और सब लोग जेलमें जानेको तैयार हैं।

श्री उस्मान लतीफ (पॉचेफ्स्ट्रम) बोले कि वे भी अपने स्त्री-बच्चोंको छोड़कर जेल जानेको तैयार हैं।

श्री क्विन (चीनी संघके अध्यक्ष) ने अंग्रेजीमें कहा कि यह लड़ाई एशियाइयोंको मुक्ति दिलानेवाली है। सारे चीनी मृत्युपर्यन्त लड़नेको तैयार हैं।

श्री इब्राहीम अस्वातने कहा कि यदि भारतीय समाज इस समय धीरज छोड़ दे और डरके मारे पंजीयन करवा ले तो उसे खुदाके दरबार में आत्महत्या करनेवाले चीनीको जवाब देना होगा। क्योंकि उक्त चीनीने भारतीयोंसे पाये हुए उत्साहके कारण ही अपनी जान लड़ाई थी।

श्री नवावखांने कहा कि समाजके कल्याण के लिए और धर्मके लिए हर भारतीयका अन्ततक लड़ना कर्तव्य है।

श्री हाजी हबीबने अपने भाषणमें मेमन लोगोंने जो पंजीयन करवाया है उसके लिए खेद व्यक्त किया और सलाह दी कि जोश कायम रखा जाये।

श्री पोलकने कहा कि खरा समय अब आनेवाला है। श्री गांधीके जेल चले जाने के बाद उन्हें जितना भी करना चाहिए उसमें वे नहीं चूकेंगे।

कुछ प्रश्नों के उत्तर में श्री गांधी ने कहा कि यदि किसीको गिरफ्तार किया जाये और जेलमें दस अँगुलियोंकी निशानी मांगी जाये तो वह दे दी जाये। यह लड़ाई दस अँगुलियोंकी निशानीकी नहीं, गुलामीसे छूटनेकी है। दस अंगुलियोंकी छाप देनेका कानून जेलमें सबपर लागू होता है। हमें उसका विरोध नहीं करना है। किन्तु जेलमें यदि कोई पंजीयन करानेको कहे तो वह नहीं कराना चाहिए। यदि स्वयं मुझे गिरफ्तार किया गया तो श्री पोलक तार