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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

वगैरह भेजनेका सब काम कर सकेंगे। किसी भी व्यक्तिको नया पंजीयनपत्र न लेने के कारण गिरफ्तार किया जाये तो उसे वकील नहीं करना चाहिए।

श्री मनजी लाखानी (प्रिटोरिया) ने कहा कि कुछ लोगोंने तो "कोड़ी" [कौड़ी] खेली, कुछ लोगोंने "चैमने" [चिमनी] का धुआँ लिया; किन्तु वे स्वयं भिखारी भले बन जायें, पंजीयनपत्र नहीं लेंगे।

श्री काछलियाने कहा कि नेता लोग तत्पर रहें या न रहें किन्तु जो लोग गुलामी नहीं चाहते वे तो जूझते ही रहेंगे।

'ट्रान्सवाल लीडर' के सम्पादक श्री कार्टराइट सभाका पता चल जानेसे खास तौरसे देखनेके लिए आ गए थे। उन्हें भारतीयोंसे बहुत ही सहानुभूति है। वे बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और खुद भी सख्त लेख लिखनेके कारण जेल भोग चुके हैं। वे खुद बहुत जागरूक व्यक्ति हैं, और सच्चेका बचाव करने में डरनेवाले नहीं हैं।

रामसुन्दर पण्डितका सन्देश

सोमवारको विशेष अनुमति लेकर श्री गांधी श्री रामसुन्दर पण्डितसे मिले। गवर्नरका हुक्म था कि बातचीत अंग्रेजीमें की जाये, इसलिए सारी बातचीत मुख्य सन्तरीके सामने अंग्रेजीमें हुई। पण्डितजीने बहुत-सी बातें कीं। उनमें से केवल आवश्यक बातें यहाँ देता हूँ:

सबको खबर दीजिए कि मैं यहाँ सुखी हूँ। यदि सरकार कड़ी सजा देती तो अधिक अच्छा होता। छूटने के बाद मैं समाजके लिए फिरसे जेलमें जानेको तैयार हूँ। जेलमें मैंने जेल-सम्बन्धी सभी कविताएँ पढ़ी हैं। उन काव्योंसे मुझे बहुत उत्साह मिला है। श्री मेहताबकी कविताओंका असर मेरे मनपर अधिक पड़ा है। मुझे आशा है, जेलसे छूटनेपर इन कविताओंकी पुस्तकें प्रत्येक हाथमें देखूंगा। दिसम्बर लग गया है फिर भी अभीतक दूसरे भारतीय क्यों नहीं पकड़े गये? पकड़े जायेंगे तभी हमें मुक्ति मिलेगी। सबसे कहिए कि जेलमें कुछ भी कष्ट नहीं है। मैं तो जेलमें स्त्रियोंको भी देखता हूँ। मेरी कोई चिन्ता न करें। मैं अपने आपको महलमें बैठा हुआ मानता हूँ। चाहता इतना ही हूँ कि कोई भारतीय कानूनको स्वीकार न करे। गवर्नर और मुख्य सन्तरी मेरी बड़ी फिक्र रखते हैं।

इसमें जेल-सम्बन्धी कविताओंके बारेमें पण्डितजीका कथन देते समय मुझे संकोच हुआ है। किन्तु उन्होंने इस बातपर बहुत जोर डाला इसलिए फर्ज समझकर मैंने यह सन्देश दिया है। किन्तु इसका कोई यह अर्थ न निकाले कि उसमें 'इंडियन ओपिनियन' में काम करनेवाले लोगोंका पैसेका स्वार्थ है। वह अखबार बड़ी मुसीबतसे प्रकाशित होता है और उसमें काम करनेवाले लोग आज भी इतना लाभ नहीं कमा रहे हैं जो वह कुछ गिनतीमें आ सके।

पंजाबियोंका प्रार्थनापत्र

पिछले सप्ताह मैंने पंजाबियोंके प्रार्थनापत्रका अनुवाद दिया था। उसके साथ श्री गांधीने निम्नलिखित पत्र[१] लॉर्ड सेल्बोर्नके नाम लिखा है।

  1. पत्रके पाठके लिए देखिए "पत्र: उच्चायुक्तको", पृष्ठ, ४०९। गुजराती अनुवाद में पत्रका पहला अनुच्छेद छोड़ दिया गया था।