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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सिफारिश करेगा। यदि सरकार इस प्रकार जाल में फंसाना चाहती हो तो भारतीयोंको सावधान रहना चाहिए। एक 'नहीं' छत्तीस रोगोंको दूर करता है। वैसा 'नहीं' ही मुँहसे निकलना चाहिए। अब सरकारकी निर्बलताकी सीमा नहीं रही। सरकारको उसका जालिमपना ही डरा रहा है। कहाँ गई जनरल स्मट्सकी धमकी? कहाँ गया उनका देश-निकाला? सरकार इतनी कमजोरी दिखाती है, फिर भी कुछ भारतीय तो डरते ही रहते हैं।

दूसरी चेतावनी

किसी भी भारतीयके पास बिना पोशाकके जासूस आकर नया अनुमतिपत्र माँगे या दूकान बन्द करने को कहे तो भारतीयको उसकी बात नहीं माननी चाहिए। जासूस होनेके बहाने कोई दूसरा ही आदमी आ सकता है।

समझौते के लिए हलचल

बहुत-से प्रसिद्ध गोरे समझौते के लिए हलचल कर रहे हैं। सर पर्सी फिट्ज़पैट्रिक तथा दूसरे लोगोंकी मुलाकात होती रहती है। अभी तो लक्षण ऐसे दिखाई दे रहे हैं कि सरकार किसीको नहीं पकड़ेगी, और ऐसे ही समझौता हो जायेगा। यदि ऐसा हो तो उसका यश रामसुन्दर पण्डितको और आत्मघात करनेवाले चीनीको मिलेगा। उस घटनासे सबका भय छूट गया है और एशियाइयोंको जोश चढ़ा है। जो-जो बातें हो रही हैं उनकी हकीकत देनेका अभी समय नहीं आया है; इसलिए लाचार होकर यहीं बन्द करता हूँ। सभी अखबार अब लिखने लगे हैं कि सरकार इस कानूनको अमलमें नहीं लायेगी। जनवरीमें कुछ-न-कुछ करेगी। इस प्रकार वह सीढ़ी-दर-सीढ़ी उतरती जा रही है। अब काले हों या गोरे, ऐसी बात तो कोई नहीं करते कि सरकार सभी लोगोंको जेलमें बन्द कर सकती है।

ठीक हुआ!

कुछ कलकतिया तथा मद्रासी फोक्सरस्टकी ओरसे दबाव आने के कारण अथवा नौकरी चली जायेगी इस भयसे पंजीकृत हुए, किन्तु अब वे नौकरी खो बैठे हैं। उनकी नौकरी छूटनेका कारण मालूम नहीं पड़ा। किन्तु लोग प्लेगकी छूतका विरोध करनेपर भी नहीं बच सके, यह जानने लायक बात है। वे अब बहुत पछताते हैं। नौकरी भी गई और लाज भी गँवाई। एक उदाहरण और भी मुझे मिला। एक-दो भारतीय इसलिए पंजीकृत हुए कि उन्हें माल वगैरह मिल जायेगा। उन्होंने अब अपने बहीखाते (माल देनेवाले) व्यापारीको सौंप दिये हैं। खुदाकी कुदरत कोई जान नहीं सकता।

एक कोंकणी अनाक्रामक प्रतिरोधी

श्री मुहम्मद इशाक नामक कोंकणीके पास पुराने पंजीयनपत्र तथा अनुमतिपत्र हैं। फिर भी उसे नये कानून के अन्तर्गत नेटालसे फोक्सरस्ट आते हुए पकड़ा गया है और उसने जमानतपर छूटनेसे इनकार किया है। श्री गांधीने सरकारी वकीलको तार भेजा है कि उस आदमीको पकड़ा नहीं जा सकता। किन्तु यदि बिना मुकदमा चलाये नहीं छूटेगा, तो वे स्वयं उसका बचाव करेंगे। इस आदमीपर मुकदमा नहीं चल सकता, क्योंकि वह अभी हालमें ही ट्रान्सवालसे नेटालमें दाखिल हुआ है। उसे आठ दिन तक गिरफ्तार करने का अधिकार सरकारको नहीं

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