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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

है। इस मुकदमे में ऐसा ही बचाव किया जाना चाहिए। क्योंकि बाहरसे आनेवाले आदमीको इस प्रकार आठ दिन खुले रहनेका मौका मिलना चाहिए। इस स्थितिमें मुकदमा जोहानिसबर्ग में ही चल सकता है और इससे अनाक्रामक प्रतिरोधको बल मिलेगा। यह अनाक्रामक प्रतिरोधी कोंकणी है, इसलिए मैं सब कोंकणियोंको बधाई देता हूँ। मुकदमा जुम्मेके दिन चलेगा। मजिस्ट्रेटने १० पौंडकी जमानत तय की है। किन्तु किसीने जमानत नहीं दी। फोक्सरस्टसे तार आया है। उसमें कहा गया है कि श्री मुहम्मद इशाक बहुत ही हिम्मतवाला और बहादुर है।

समझौतके बारेमें

समझौतेकी बातचीत चलती रहती है। लोगोंमें जोश इतना ज्यादा है कि वे अब स्वेच्छया पंजीयनसे भी मुक्त होना चाहते हैं और कह रहे हैं कि सरकारसे अब बिलकुल कोई समझौता न करके लड़ाई ही लड़ ली जाये और जो कागज मिले हैं उन्हें जमा कर बैठे रहें। यह जोश बहुत ही प्रशंसनीय है। समाजके लिए अब बहुत समझदारीसे चलनेका समय आया है। समझौतेके लिए जो बातें आज बारह महीनेसे कही जा रही हैं उन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। बुधवारको हमीदिया सभाभवन में सभा हुई थी। किन्तु उस सभामें बहुतोंका उत्साहपूर्ण आग्रह यही रहा कि पुराने पंजीयनपर दृढ़ रहें और स्वेच्छया पंजीयन न करवायें। मुझे आशा है कि जब लोगोंका यह जोश उतर जायेगा तब ठंडे होनेपर वे फिर विवेकपूर्ण माँग करेंगे। कानूनके टूटनेको मैं महान विजय मानता हूँ। और यदि लोग एकमत रहेंगे तो कानून टूटेगा ही। किन्तु इसीके साथ हमें यह भी बताना होगा कि हम ठीक रास्तेपर चलनेवाले और वचनको निबाहनेवाले हैं। जैसे हम ली हुई शपथको तोड़ना अपराध मानते हैं, वैसे ही स्वेच्छया पंजीयनका वचन देकर उससे मुकरने में भी शर्म है।

रविवारको सभा

फिरसे विचार करनेके लिए रविवारको सभा होनेवाली है। अन्तमें समाज समझदारीसे काम लेगा तो यह जोश, जो दीख रहा है, शुभ लक्षण माना जायेगा।

पण्डितजी

श्री रामसुन्दर पण्डित तारीख १३ को सवेरे ९ बजे जोहानिसबर्ग जेलसे छूटनेवाले हैं। आशा है उस समय जोहानिसबर्गके बहुत-से भारतीय उनका स्वागत करने के लिए उपस्थित होंगे। उनका स्वागत करने के बाद सभा करनेका विचार है।[१] दूसरे शहरके लोगोंके लिए उचित होगा कि वे बधाईके तथा ऐसे तार भेजें जिनमें कहा गया हो कि आवश्यकता पड़नेपर वे फिर जेल जानेकी बहादुरी दिखायेंगे।

पंजाबी

एक गोरेने लॉर्ड सेल्बोर्नको लिखा है कि वे पंजाबी आदि लोगोंको जूलू-लड़ाईमें नौकरी दें। लॉर्ड सेल्बोर्नने पंजाबियोंके प्रार्थनापत्रका यह जवाब दिया है कि वह प्रार्थनापत्र स्थानीय सरकारको भेज दिया गया है।

  1. देखिए "रामसुन्दर पण्डित", पृष्ठ ४३९।