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३२१. फोक्सरस्टके मुकदमे

फोक्सरस्टमें श्री मुहम्मद इशाक तथा दूसरे भारतीयोंके जो मुकदमे चले वे बहुत जानने योग्य हैं। उन मुकदमोंको सरकार पहले तो नये कानूनके अन्तर्गत चलाना चाहती थी, किन्तु आखिर वह डर गई और वे शान्ति-रक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत चलाये गये। इसमें श्री मुहम्मद इशाक सबसे आगे रहे इसलिए दूसरे भारतीय भी अनुसरण कर सके। उन्होंने कोंकणियोंका नाम रख लिया है, और यदि कोंकणियोंपर कोई कलंक आता है तो वह अब टिक नहीं सकता। मजिस्ट्रेटने निर्णय दिया है कि श्री इशाकको उनके अनुमतिपत्रके आधारपर रहनेका हक है और इस तरह उन्हें निर्दोष मानकर छोड़ दिया है।

इन मुकदमोंसे लोगोंकी हिम्मत अधिक प्रकट हुई है। जमानतपर नहीं छूटे, यह ठीक हुआ। और गिरफ्तार किये जानेवालोंमें कई कौमोंके लोग हैं, यह भी ठीक हुआ।

यह मुकदमा सरकारकी बहुत बड़ी कमजोरी प्रकट करता है। सरकार हिम्मत हार गई है। क्या करना चाहिए, यह उसे नहीं सूझता। उसकी हालत कोधसे पागल व्यक्तिके समान है। यदि ऐसे मुकदमे और चलाये जायें तो हमारा फायदा ही है।

यदि सरकारमें सच्चा बल होता तो वह उन भारतीयोंको पकड़ती जो ट्रान्सवालमें बसे हुए हैं और विरोध कर रहे हैं। किन्तु सो तो सरकार कर नहीं सकती। इसलिए बाहरसे आनेवालोंको रोकनेका व्यर्थ प्रयास कर रही है। किन्तु उसमें सरकार बिना हारे नहीं रह सकती। क्योंकि नये कानूनमें जबरदस्त गुंजाइश रह गई है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १४-१२-१९०७

३२२. नेटाल परवाना अधिनियम

इस अधिनियमके अर्न्तगत सरकारने नये खण्ड बनाये हैं। उनमें तीन खण्ड जानने योग्य हैं। एक तो यह कि इसके बाद अब परवानेकी अर्जीकी विज्ञप्ति समाचारपत्रमें प्रकाशित करनी पड़ेगी। परवाने के कागजपर निशानी लेनेका अधिकारीको हक है। और अपीलके समय १२ पौंड १० शिलिंग पेशगी चाहिए। यह सब बुरा है। परन्तु अब देखना यह है कि इनमें किस बातमें बचा जा सकता है। ऐसा नहीं लगता कि समाचारपत्र में विज्ञप्ति देनेकी बात रद हो जायेगी। इस प्रकारका कानून केपमें है। अंगूठा निशानी लेनेकी बात अधिकारीकी मर्जीपर है। इसलिए ऐसा अर्थ हो सकता है कि जिन्हें हस्ताक्षर करना आता हो उनसे अंगूठा निशानी न ली जाये। उपर्युक्त दोनों विषयोंके सम्बन्धमें सरकारको कुछ लिखा जाये, यह हम नहीं कह सकते। क्योंकि इसे हम व्यर्थ समझते हैं। १२ पौंड १० शिलिंग देनेकी बात नई नहीं है। इसका उपाय केवल यही है कि जब भी किसीके लिए अपील करनेका प्रसंग आये वह बिना रकम दिये अपील करे। हम मानते हैं कि यह शुल्क अवैध है, और सम्भव है कि