तीसरी बात सबसे उत्तम है और वह की जा सके तभी पहली दो बातें शोभा देंगी। हममें नई ताकत आई है। उसे हमें हर चीजमें आजमाना चाहिए। ट्रान्सवालके कानूनका विरोध कर लेना काफी नहीं है। उसे तो अपने कामका केवल प्रारम्भ समझना चाहिए।
जापानका उदाहरण लीजिए। स्वाभिमान आ जानेपर वह जाति अपनी शिक्षा, व्यापार, आबरू सबका खयाल रखने लगी है। हमारा भी चहुँमुखी विकास होना चाहिए।
इंडियन ओपिनियन, १४-१२-२९०७
३२५. भारतीयोंपर हमला?[१]
नये कानूनकी धूमधाम चल रही है। इसमें सन्देह नहीं कि लोग अब तो जेल जानेकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। पिछले शुक्रवारको सवेरे डर्बनसे नौ भारतीय आये। उसी दिन शामको ग्यारह और आये, और शनिवार तथा रविवारको सत्रह आये। इन सबके पास अपने-अपने अनुमतिपत्र और पंजीयनपत्र थे। इनमें से पैंतीस 'सुल्तान' जहाजसे उतरे। शेष दोमें से एक मद्रासी थे जो कार्यवश जोहानिसबर्ग जा रहे थे; और एक गुजराती थे जो अक्तूबरसे डर्बन गये हुए थे और अब लौटकर जोहानिसबर्ग जा रहे थे। पहली बात तो यह थी कि ये सब नये कानूनके अनुसार अनुपतिपत्र न होनेके कारण गिरफ्तार किये गये थे। शुक्रवारको श्री गांधी न्यायालय में उपस्थित हुए थे, तब इन लोगोंको न्यायालय में नहीं लाया गया था। परन्तु पुलिस प्रिटोरिया से आदेशकी प्रतीक्षा कर रही थी। इन्हें शनिवारको हाजिर किया गया था और सोमवार तक मुकदमा स्थगित रहा। सोमवारको श्री गांधी फिर जोहानिसबर्ग आये। पुलिस यह मुकदमा नये कानूनके अन्तर्गत चलाना चाहती थी। किन्तु प्रिटोरियासे यह आदेश आया कि अनुमतिपत्र अध्यादेशके अन्तर्गत मुकदमा चलाया जाये। इसलिए अनुमतिपत्र अध्यादेशकी पाँचवी धारा के अन्तर्गत यह कहकर मुकदमा दायर किया गया कि इन लोगोंके पास अनुमतिपत्र नहीं हैं।
सार्जेंट मैन्सफील्डकी गवाही
मैंने इन भारतीयोंको गिरफ्तार किया। क्योंकि मुझे ऐसे भारतीयोंको गिरफ्तार करनेका प्रिटोरियासे आदेश है। इन लोगोंके पास अपना-अपना अनुमतिपत्र था, किन्तु इन्हें लौटकर आनेका हुक्म नहीं है। इनके पास नये कानूनके अनुसार अनुमतिपत्र नहीं हैं, इसलिए गिरफ्तार किया।
जिरह
प्र॰—इन लोगों के अनुमतिपत्रोंकी आपने जाँच की?
उ॰—हाँ, जाँच करनेपर मुझे मालूम हुआ कि इनके अँगूठेकी निशानियाँ मिलती हैं।
- ↑ यह लेख इन उप-शीर्षकों के साथ प्रकाशित हुआ था: "नेटालसे ट्रान्सवाल जाते हुए सैंतीस व्यक्ति गिरफ्तार—न्यायालय द्वारा रिहा"।