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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४५८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय


प्र॰—इन लोगोंके पास १८८५ के कानून के अनुसार लिये हुए पंजीयनपत्र भी हैं?

उ॰—इन सबके पास वे पंजीयनपत्र हैं।

प्र॰—प्रिटोरियासे आपको क्या आदेश है?

उ॰—मुझे यह आदेश है कि बाहरसे आनेवाले प्रत्येक भारतीयको यदि उसके पास नये कानूनके अनुसार पंजीयनपत्र या दूसरा अधिकार न हो तो गिरफ्तार किया जाये।

प्र॰—यह आदेश जिस भारतीयको आप पहचानते हैं उसे भी पकड़नेके लिए है?

उ॰—हाँ, अपने कर्तव्य के अनुसार मुझे तो सभीको पकड़ना चाहिए।

प्र॰—जिन अनुमतिपत्रोंको आपने इन मुवक्किलोंके पास देखा उस प्रकारके अनुमतिपत्रोंके आधारपर भारतीय अबतक बेरोक-टोक आ-जा सकते थे क्या?

उ॰—हाँ, उस समय मुझे ऐसा आदेश था कि ये अनुमतिपत्र पर्याप्त हैं।

इसके पश्चात् सरकारी वकीलने मुकदमा रोक दिया। श्री गांधीने माँगकी कि सबूतके अभावमें इन लोगोंको छोड़ देना चाहिए।

सरकारी वकीलने स्वीकार किया कि उसका मुकदमा कमजोर है। परन्तु सरकार के आदेशसे उसने सम्मन्स बनाया है। जो अनुमतिपत्र प्रस्तुत किये गये हैं उनके आधारपर लोग प्रवेश करके रह सकते हैं, परन्तु जाकर लौट नहीं सकते।

श्री गांधीने कहा कि सरकारी गवाहने ही मेरे मुवक्किलोंके मुकदमोंको सिद्ध कर दिया है। उन्होंने जो अनुमतिपत्र प्रस्तुत किया है, वही मेरे मुवक्किलोंका प्रविष्ट होनेका अधिकारपत्र है। सम्मन्समें उनके विरुद्ध अनुमतिपत्रके बिना प्रवेश करनेका आरोप है। वह साबित नहीं हुआ। भाभाके मुकदमेमें न्यायालयने फैसला दिया है कि जिसे दाखिल होनेका अधिकार है उसको बाहर जाकर वापस लौटनेका भी अधिकार है। इसलिए मुवक्किलोंको छोड़ देना चाहिए। इनमें से बहुत-से तो आज चार दिनसे कष्ट भोग रहे हैं।

न्यायाधीशने उपर्युक्त दलीलको स्वीकार करके सबको छोड़ दिया। जिनपर मुकदमा चलाया गया था उनके नाम निम्न प्रकार हैं:

उमर यूसुफ, नाथु गोविन्द, माधा गलाल, लाला माधव, गोविन्द दादी [दाजी?], रतनजी महाराज, कुवंरजी मनोर, काला पेमा, नागर भवान, मोरार भीखा, समंदरखाँ, काना गोपाल, नाना वल्लभ, बाबा सुखा, परभु नारण, जसमत फकीर, फकीर लाखा, हरि दाजी, प्रेमा भाणा, परभु छना, लल्लू खुशाल, रामसामी चोकलींग पिल्ले, मणि डाह्या, भीमा वसन, झीणा कीड़िया, डाह्या पाँचा, वल्लभ गोबिन्द, धना हीरा, हरि भीखा, दयाल बल्लभ, मकन मोरार, माधव जीवण, गोविन्द डाह्या, बुधिया लाला, दाजी भाणा, रणछोड गोपाल, भीखा रतनजी।

मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि इनमें एक पठान, एक कोंकणी, एक मद्रासी और अन्य गुजराती हिन्दू, इस तरह सभी जाति लोग हैं।

मुहम्मद इशाकका मुकदमा

यह मुकदमा फोक्सरस्टमें शुक्रवारको चला। सरकारी वकीलने कहा कि किस आरोपके सम्बन्धमें मुकदमा चलाया जाये, इसका उसे पता नहीं है। खबर मिलनेपर बताया जा सकता है। बहसके बाद न्यायाधीशने वह मुकदमा जोहानिसबर्ग भेजना स्वीकार किया और यह आदेश दिया कि उसे बुधवारको जोहानिसबर्ग में चलाया जाये।