१३. लोगोंकी जानकारीके लिए निकाय खुले रूपमें मुकदमेकी सुनवाई करेगा।
१६. अर्जदारको और अर्जीसे सम्बन्ध रखनेवाले व्यक्तिको ऐसे प्रतिनिधिके द्वारा, जिसे व्यक्तिगत अथवा लिखित रूपसे अधिकार दिया गया हो, सबूत पेश करनेका अधिकार है। अपीलका विरोध करनेवालेको भी वैसे ही अधिकार हैं।
इंडियन ओपिनियन, १४-१२-१९०७
३२७. जोहानिसबर्गको चिट्ठी
पंजाबियोंकी याचिका
इस याचिकाके जवाबके बारेमें सरकार अभी विचार कर रही है। किन्तु दुनियाने इसका जवाब दे दिया है। इससे बहुत अंग्रेजोंका मन पंजाबी सैनिकोंके पक्षमें उत्तेजित हो उठा है। और सब चर्चा कर रहे हैं कि उनके साथ न्याय किया जाना चाहिए। अभी इस याचिकाकी बात चलती ही रहती है। विलायतके 'डेली ग्राफिक' में इस सम्बन्धमें सख्त टीका की गई थी। इसका हम उल्लेख कर चुके हैं।
वापस ले लेता हूँ
श्री पारेखके जोशके बारेमें मैं लिख चुका हूँ।[१] लेकिन मैं देखता हूँ कि वह जल्दीमें लिखा गया था, इसलिए उसे वापस ले लेता हूँ। जब वह लेख लिखा गया तब श्री पारेख न्यूकैंसिलमें थे। छपते समय वहीं होंगे या नहीं, यह कहा नहीं जा सकता। किन्तु मैंने उन्हें खास रूपसे शूरोंमें शामिल करके उदाहरण दिया था कि दूसरे लोग उनका अनुसरण करें, किन्तु उसमें भूल हो गई। शूर वह है जो पहले रणमें चढ़े। श्री पारेख अभी ट्रान्सवालके बाहर हैं। इसलिए मेरे लेखसे जो यह भाव निकलता था कि वे हम सबसे विशेष बहादुर हैं वह अब नहीं रहा।
सरासर झूठ
श्री हसन अहमद कालाने सार्वजनिक रूपसे यह कहा था कि पंजीयनकी अर्जी देकर वे स्वयं पछताये हैं, और उसे वापस लेना चाहते हैं। किन्तु मुझे मालूम हुआ है कि जिस दिन अर्जी वापस लेनेके विचारके सम्बन्धमें उन्होंने पत्र लिखा उसी दिन उन्होंने अपने भाई-बंदोंको ऐसा भी खानगी पत्र लिखा कि उन्हें जल्दीसे गुलामीके पट्टे मिल जायें तो अच्छा हो। उन लोगोंको इतने दिन तक पट्टे नहीं मिले उसके लिए उन्होंने चिन्ता व्यक्त की। हमारे बीच ऐसी बातें न हों इस दृष्टिसे मैं इस झूठको कर्तव्य समझकर प्रकट कर रहा हूँ। मुझे खेद है कि श्री काला पीटर्सबर्ग में धरनेदार रहे हैं। इसलिए श्री चैमनेको यह कहनेका मौका मिला है कि धरनेदारोंने भी पंजीयनके लिए अर्जी दी है।
स्वेच्छया पंजीयन यानी क्या?
इस सम्बन्धमें इस अखबारमें कई बार चर्चा हो चुकी है, फिर भी मैं देखता हूँ कि आज भी सब भारतीय उसका अर्थ नहीं समझते। जैसे गोरे तबतक नहीं समझते थे कि नया
- ↑ देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ ३८७।