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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४७७

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३३६. पत्र: म॰ द॰ आ॰ रेलवेके महाप्रबन्धकको

[जोहानिसबर्ग]
दिसम्बर २१, १९०७

महाप्रबन्धक

म॰ द॰ आ॰ रेलवे

जोहानिसबर्ग
महोदय,

आज प्रातःकाल मुझे स्टैंडर्टनकी स्थानीय भारतीय समितिका पत्र मिला, जिसका स्वतन्त्र अनुवाद नीचे दिया जा रहा है:

रेलवे कर्मचारियोंको महीनेके शुरूमें जो खुराक दी गई थी उसका साराका-सारा अवशिष्ट भाग कल (इस मासकी १९ तारीखको) उनसे ले लिया गया और जिन कमरोंमें वे रहते थे उनकी छतें हटा दी गई। इसलिए वे सभी यहाँ आ गये हैं। समितिने उनके रहनेका प्रबन्ध कर दिया है। उन्होंने कल दोपहर तक काम किया था, लेकिन उनको कलका कुछ भी पारिश्रमिक नहीं दिया गया। उन्होंने प्रार्थना की कि उनको निवासस्थान तलाश करने और बादमें अपने स्त्री-बच्चोंको ले जानेके लिए नगरमें जानेकी अनुमति दी जाये; मगर बच्चों तक को बाहर निकाल दिया गया है।

आपने कृपापूर्वक मुझे यह आश्वासन दिया था और समाचारपत्रोंके नाम आपकी विज्ञप्तिमें भी मैंने यही आश्वासन देखा है कि, आपका महकमा किसी प्रकार "सख्तीसे कार्यवाही करना या किसी रूपमें अपने अधिकारोंका फायदा उठाना नहीं चाहता"। इसलिए अगर उपर्युक्त सूचनापत्र में कोई सच्चाई हो तो जो अधिकारी हिदायतोंपर अमल कर रहे थे, वे स्पष्टतया गम्भीर रूपसे कर्तव्यच्युत हो गये हैं। क्या आप इसके बारेमें आवश्यक जाँच करके मुझे सूचित करने की कृपा करेंगे?

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी
अवैतनिक मन्त्री
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१२-१९०७