कान्तिकारी भावना पर्याप्त जड़ पकड़ लेगी वह दिन भारतके लिए एक बुरा दिन होगा; किन्तु में यह कहे बिना नहीं रह सकता कि लॉर्ड एलगिनने उसका बीज बो दिया है। यदि यह बीज छात्र-जगत तक ही सीमित होता तो कदाचित् भारतीय भूमिमें कदापि न पनपता। किन्तु मैं आज देखता हूँ कि व्यापारी, जो अंग्रेजीका एक शब्द नहीं जानता, एशियाई कानूनके सम्बन्धमें नई भावनामें सराबोर है। मुझे इस बातपर गर्व है कि मैंने इस मामले इतना भाग लिया है। किन्तु इसके साथ इतना और कहता हूँ कि मेरे विचार लोगोंके विचार हैं और उनको प्रकट करते समय मैने अगर कुछ किया है तो नरमी बरती है। इस कारण से ही मैंने यह भावना व्यक्त की है कि लॉर्ड एलगिनने इस प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमको मंजूर करके भारतीयोंकी राजभक्तिपर अनुचित भार डाला है। मेरे विचारसे यह विधान एक बर्बर विधान है। यह एक सभ्य सरकारका, जो अपने आपको ईसाई सरकार कहनेको हिम्मत करती है, जंगली कानून है। यदि ईसा जोहानिसबर्ग और प्रिटोरियामें आयें और जनरल बोथा, जनरल स्मट्स और अन्य लोगोंके हृदयोंको टटोलें तो मेरा खयाल है कि उन्हें कोई अजीब, ईसाइयतको भावनाके सर्वथा विपरीत, बात मिलेगी।" उन्होंने आगे कहा: "मैं मानता हूँ कि इस कानून के अनुसार कार्रवाई करनेके लिए जनरल स्मट्सने जिनको चुना है वे जाने-माने लोग हैं और गरीब लोगोंपर हाथ नहीं डाला है। मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि यदि उन लोगोंको, जिन्हें न्यायाधीशके सामने पेश होना है, कंदकी या देश-निकालेकी सजाएँ दी गई तो बाकी लोग, जो पीछे रहेंगे, पंजीयन अधिनियमका विरोध दृढ़तासे करेंगे। किन्तु इस पंजीयन अधिनियमसे ऐसे अधिकार मिलते हैं जिनसे बेचारे पतियोंपर बहुत संकट आयेंगे। उनको अपने परिवारोंसे पृथक् किया जा सकता है। हम श्री नायडूके, जो सारे आन्दोलन में खूब चमके हैं, मामलेका उदाहरण ही लें। उनके पत्नी और पाँच बच्चे हैं, जो उपनिवेशम पाँच सालसे रह रहे हैं। यदि श्री नायडूको देश-निकाला दे दिया गया तो क्या होगा? उनकी पत्नी और उनके बच्चोंकी देखभाल कौन करेगा? मुझे कानूनमें एक भी ऐसी धारा नहीं मिल सकी है जिससे निर्वासितोंके परिवारोंकी रक्षा होती हो। सरकार करना क्या चाहती है? उसमें भारतीयोंसे इतना कहनेकी ईमानदारी क्यों नहीं है कि देशमें उनकी आवश्यकता नहीं है? वह अपने अधिकारोंको लागू करनेके लिए यह अप्रत्यक्ष तरीका क्यों काममें लाती है? मैंने कानूनकी कुछ धाराओंको जंगली और केवल एक असभ्य सरकारके योग्य कहा है। यदि इन अधिकारोंका इस प्रकार प्रयोग किया जाये और हम सबको निर्वासित
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