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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

निम्न व्यक्ति ट्रान्सवालमें वैध रूपसे रहनेवाले एशियाई माने जायेंगे।

(क) जिस एशियाईको अनुमतिपत्र कानूनके अनुसार अनुमतिपत्र मिला हो, बशर्ते कि वह अनुमतिपत्र धोखेसे अथवा गलत ढंगसे प्राप्त किया गया न हो। (मुद्दती अनुमतिपत्रोंका समावेश इसमें नहीं होता।)
(ख) प्रत्येक एशियाई, जो १९०२ के मई महीनेकी ३१ वीं तारीखको ट्रान्सवालमें रहा हो।
(ग) जो १९०२ के मई महीनेकी ३१ वीं तारीखके पश्चात् ट्रान्सवाल में जन्मा हो।
(४) प्रत्येक एशियाई, जो इस कानून के अमल में आनेकी तारीखको ट्रान्सवाल में मौजूद हो, उपनिवेश सचिव द्वारा निश्चित की गई तारीखसे पहले निर्धारित स्थानपर और निर्धारित अधिकारीके यहाँ पंजीयनके लिए आवेदनपत्र दे दें। कानूनके अमल में लाये जानेकी तारीखके बाद ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेवाला प्रत्येक एशियाई, यदि उसने इस कानूनके अन्तर्गत नया पंजीयनपत्र न लिया हो तो, पंजीयनके लिए अपना आवेदनपत्र प्रविष्ट होनेके आठ दिनके अन्दर भेज दे। परन्तु,
(क) इस धाराके अनुसार आठ वर्षसे कम उम्रके बालकके लिए आवेदन करना आवश्यक नहीं है।
(ख) आठ वर्षसे लेकर सोलह वर्षके अन्दरके बालकके लिए उसका अभिभावक पंजीयनका आवेदनपत्र दे। और अगर वैसा आवेदनपत्र न दिया गया हो तो सोलह वर्षकी आयु होनेके बाद बालक स्वयं दे।
(५) पंजीयक वैध रूपसे रहनेवाले एशियाईके आवेदनपर ध्यान देगा। पंजीयक उपर्युक्त एशियाईको तथा जिसे वह मान्य करे ऐसे एशियाईको पंजीयनपत्र दे।

यदि पंजीयक किसी एशियाईके आवेदनको अस्वीकृत कर दे, तो उस एशियाईको न्यायाधीशके समक्ष उपस्थित होनेके लिए वह कमसे-कम १४ दिनका नोटिस दे; और यदि निश्चित तारीखपर वह उपस्थित न हो, अथवा उपस्थित होकर भी न्यायाधीशको अपने ट्रान्सवालमें रहनके अधिकारके सम्बन्धमें सन्तुष्ट न कर सके और वह १६ वर्षकी आयुका हो, तो उसे न्यायाधीश ट्रान्सवाल छोड़नेका आदेश दे। और यदि न्यायाधीशको विश्वास हो जाये कि उपर्युक्त एशियाई वैध निवासी है तो उसे पंजीयकको पंजीयनपत्र देनेका आदेश देना चाहिए।

(६) जो एशियाई आठ वर्षसे कम आयुके किसी बालकका अभिभावक हो, उसे अपना आवेदनपत्र देते समय पंजीयकको उस बालकके सम्बन्धमें विनियम द्वारा निर्धारित विवरण और हुलिया देना चाहिए। यदि उस व्यक्तिका आवेदन स्वीकृत किया गया तो उसके पंजीयनपत्रपर वह विवरण और हुलिया लिख दिया जायेगा। फिर, उस बालककी उम्र आठ वर्ष हो जानेपर वह एक वर्षके अन्दर उसे पंजीकृत करनेके लिए अपने जिला मजिस्ट्रेटकी मारफत दुबारा अर्जी दे।