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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
(११) जिस व्यक्तिको किसी दूसरे व्यक्तिका पंजीयनपत्र अथवा मियादी अनुमतिपत्र

मिले उसे सारे दस्तावेज तत्काल पंजीयकके पास भेज देने चाहिए। यदि वह नहीं भेजेगा तो उसको ५० पौंड तक जुर्मानेकी अथवा एक महीनेतक की कड़ी या सादी कैदकी सजा दी जायेगी।

(१२) जिस व्यक्तिका पंजीयनपत्र खो जाये उसे तुरन्त नये पंजीयनपत्रके लिए अर्जी देनी चाहिए। उस अर्जीमें कानूनके मुताबिक सारा विवरण दिया जाये और उसपर पांच शिलिंगके टिकट लगाये जायें।
(१३) 'गज़ट' में निर्धारित की गई तारीखके पश्चात् किसी भी एशियाईको राजस्व कानून या नगरपालिकाकी धाराओंके अनुसार तबतक परवाना नहीं दिया जायेगा जबतक वह अपना पंजीयनपत्र न दिखाये तथा माँगी हुई हकीकत व हुलिया न दे दे।
(१४) किसी भी एशियाईकी आयुका प्रश्न खड़ा होनेपर यदि वह प्रमाणोंके साथ और कोई आयु सिद्ध न कर सके तो पंजीयक द्वारा निश्चित की हुई आयु ही सही मानी जायेगी। इस कानूनके अन्तर्गत जो हलफनामा देना पड़ेगा उसपर टिकटकी आवश्यकता नहीं है।
(१६) जो व्यक्ति पंजीयन-प्रमाणपत्रके सम्बन्धमें कुछ धोखा देगा, अथवा झूठ बोलेगा,

अथवा दूसरे व्यक्तिको झूठ बोलनेके लिए प्रोत्साहन देगा या सहायता करेगा, अथवा जाली पंजीयनपत्र बनायेगा, अथवा और किसीका पंजीयनपत्र या जाली पंजीयनपत्र काममें लायेगा, अथवा वैसा पंजीयनपत्र दूसरोंको काममें लानेके लिए देगा, उसपर ५०० पौंड तक का जुर्माना होगा, अथवा दो वर्ष तक की कड़ी या सादी कैदको सजा होगी।

(१७) उपनिवेश-सचिव अपनी इच्छानुसार किसी भी एशियाईको मुद्दती अनुमतिपत्र दे सकता है। उस अनुमतिपत्रके सम्बन्धमें नवीं धाराकी शर्ते लागू होंगी और आजतक ऐसे जितने भी अनुमतिपत्र दिये जा चुके हैं उन सबपर यह कानन लागू समझा जायेगा। मियादी अनुमतिपत्रवालेको शराबकी छूट मिल सकती है। अलावा इसके, जिन एशियाइयोंपर यह कानून लागू नहीं होता, उन्हें भी उपनिवेश-सचिव शराबकी छट दे सकता है।
(१८) गवर्नर निम्नलिखित कामोंके लिए नियम बना सकते हैं और रद कर सकते हैं:
(क) पंजीयनपत्र किस प्रकारका रखा जाये।
(ख) पंजीयनपत्रके लिए अर्जी किस प्रकार की जाये, किस रूपमें दी जाये, उसमें दी जानेवाली हकीकतें क्या हों, हुलियामें क्या-क्या लिखा जाये।
(ग) पंजीयन-प्रमाणपत्र किस प्रकारका लिया जाये।
(घ) आठ वर्षसे कम आयुवाले बालकका अभिभावक, वह एशियाई जिससे नवीं कलमके अनसार पंजीयनपत्र मांगा जाय, खोये हए पंजीयनपत्रकी प्रतिलिपि माँगनेवाला एशियाई, और व्यापारके लिए परवाना माँगनेवाला एशियाई क्या-क्या हकीकतें, कौन-कौन-सा हुलिया दे।