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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/५०४

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३५४. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

[दिसम्बर ३१, १९०७]
मंगलवार,

एक साथ धर-पकड़

प्रिटोरिया, पीटर्सबर्ग, जोहानिसबर्ग और जस्टिन में सरकारने दिसम्बर खाली नहीं छोड़ा। प्रिटोरिया में १२, जोहानिसबर्ग में १, पीटर्सबर्ग में ३, और जस्टिन में १ वारंट निकाले गये। प्रिटोरियामें श्री सुलेमान सूज, श्री ए॰ एम॰ काछलिया, श्री अर्देसर वेग, श्री गौरीशंकर व्यास, श्री गुलाम मुहम्मद रशीद, श्री इस्माइल जुमा, श्री रहमत खाँ, श्री चुनीलाल शेठ, श्री तुलसी, श्री गंगादीन तथा श्री मणिलाल देसाई; जोहानिसबर्ग में श्री गांधी, श्री थम्बी नायडू, श्री सी० एम० पिल्ले, श्री नवाब खाँ, श्री समंदर खाँ, श्री कड़वा, श्री विवन, श्री ईस्टन और श्री फोर्तोएन; पीटर्सबर्ग में श्री मोहनलाल खंडेरिया, श्री अमरशी गोकल और श्री अम्बालाल[] तथा जस्टिन में रामसुन्दर 'पण्डित' के नाम वारंट निकाले गये थे। इनमें श्री रहमतखाँ नगरसे बाहर होने के कारण गिरफ्तार नहीं हुए। श्री काछलिया खबर मिलते ही अपने कामको अधूरा छोड़कर सम्मनके स्वागतके लिए फोक्सरस्टसे प्रिटोरिया दौड़े गये; जब कि रामसुन्दर भाग गया। श्री चुनीलाल और तुलसीने मुकदमा स्थगित करवाया।

रामसुन्दरकी कहानी बताना आवश्यक है। शुक्रवारको जब पुलिस कमिश्नरकी सूचना आई तब उक्त भाई साहब श्री गांधीके कार्यालय में मौजूद थे और उन्होंने कहा था कि वे शनिवारको अदालतमें उपस्थित हो ही जायेंगे। लेकिन जस्टिन जाकर उन्होंने अपने जो दो एक शिष्य थे उन्हें बुलाकर उनसे कह दिया कि वे और अधिक जेल स्वयं बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे। इसलिए उनका विचार चले जानेका है। शिष्योंने बहुत समझाया किन्तु रामसुन्दरपर भय सवार हो गया था, इसलिए किसीकी न मानकर औरोंको खबर दिये बिना ही उन्होंने चुपकेसे नेटालकी ट्रेन पकड़ ली। इस प्रकार वे जैसे चढ़े थे वैसे ही गिर गये हैं। उनके सम्बन्ध में मैंने इस पत्र में बहुत लेख लिखे। वे अब गलत हो गये। उनके सम्बन्धमें जो कविताएं थीं वे व्यर्थ हो गई। खोटा रुपया खरा हो ही नहीं सकता। यह लड़ाई ऐसी है कि सबका सत्त्व अन्तमें जाकर प्रकट हो ही जायेगा। कौमके हिसाबमें रामसुन्दर अब जीवित नहीं हैं। अब हमें उनको भूल जाना है।

इसके अतिरिक्त और सब तो दृढ़ दीखते हैं। गिरफ्तार होने वालोंमें प्रायः सभी जातियाँ आ जाती हैं। अर्थात् चार सूरती मुसलमान, एक मेमन, दो पठान, एक पारसी, एक ब्राह्मण, तीन बनिये, एक कलकत्तेका हिन्दू, एक सिक्ख, दो ईसाई, एक लुहाणा, तीन मद्रासी हिन्दू और तीन चीनी इस प्रकार मिलकर तेईस एशियाई गिरफ्तार हुए हैं। उनमें से श्री सूज, श्री देसाई, श्री व्यास, श्री खंडेरिया, श्री नायडू, इन सबके बाल-बच्चे ट्रान्सवालमें हैं। इनमे कई व्यापारी हैं; कई नौकर हैं। इस प्रकार प्रत्येक कौमके लिए प्रसन्न होने की बात है।

  1. मूलमें अम्बाईलाल।