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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

हमारे लिए बेकार है। जो लोग खूनी कानूनके अधीन हुए हैं, वे ही उसका उपयोग कर सकते हैं। हम लोगोंका तो इसके निर्वासनवाले खण्डसे ही सम्बन्ध है। लेकिन ऊपरकी बात ध्यान देने योग्य है। अँगुलियोंकी बात हटा दी जाये तो भी खूनी कानून हम मंजूर कर ही नहीं सकते। वह कानून ही विष रूप है। उसकी तुलना और कानूनोंके साथ हो ही नहीं सकती।

गांधीकी अनुपस्थितिमें कौन?

श्री गांधीकी अनुपस्थितिमें काम करनेवालेके बारेमें सवाल उठा है। मेरी मान्यता है कि श्री पोलकने भारतीय कौमको अपना जीवन अर्पण कर दिया है। उन्हें इस प्रश्नकी अच्छी जानकारी हो गई है। वे कुलीन व्यक्ति हैं। उनकी लेखनीमें तेज है। उनकी अंग्रेजी बहुत अच्छी है। वे बहुत-से अंग्रेजोंके सम्पर्क में आ चुके हैं। और हर भारतीय उन्हें जानता है। कई बातों में उनसे सहायता मिल सकती है, इसमें कोई शक नहीं। इसलिए ब्रिटिश भारतीय संघके नाम जो पत्रादि आयेंगे उनकी व्यवस्था भी वे कर सकेंगे। यह अधिक ठीक होगा कि जहाँतक बने उन्हें पत्र अंग्रेजीमें लिखे जायें।

अनाक्रामक प्रतिरोधका प्रचार

भारतीय मुकदमोंका विवरण समाचरपत्रों में बहुत आ रहा है और दीख पड़ता है कि हरएक अखबारका रुख पूरी तरहसे हमारे पक्ष में है। बहुत से गोरे तो अब जनरल स्मट्सके कारण शर्मिन्दा हो रहे हैं। 'ट्रान्सवाल लीडर' ने इन नये मुकदमोंको चलानेपर भारतीयोंके पक्षमें सहानुभूतिपूर्ण आलोचना की है।

अब क्या सम्भव है?

जान पड़ता है, अब लड़ाईका अन्त जल्दी ही आनेवाला है। जो गिरफ्तार किये गये हैं उनके अतिरिक्त फिलहाल औरोंको गिरफ्तार किया जायेगा, ऐसा नहीं दीखता। परवाना सम्बन्धी अड़चनें, एवं श्री गांधी और दूसरोंकी अनुपस्थितिसे उत्पन्न प्रभावको सरकार परखेगी और इसपर भी अगर अधिकतर दृढ़ रही तो जान पड़ता है मार्च महीनेमें निबटारा हो जायेगा। इसका सारा दारोमदार हमपर है।

जाको राखे साँइयाँ'

जनरल स्मट्सने भारतीयोंके लिए जो जाल बिछाया था उसे हटाना पड़ा है। आज (मंगलवारके) प्रातःकाल श्री नायडू, श्री पिल्ले, श्री ईस्टन, श्री कड़वा तथा श्री गांधी जेल-महलमें पधारनेवाले थे। परन्तु दस बजे से पहले टेलीफोन आया कि अदालत जानेकी बिलकुल जरूरत नहीं है। जब नोटिस मिले तब अदालतमें हाजिर हों। इसलिए इस समय तो ऊपर बताये हुए भारतीय जवान कारावासके सुखका स्वाद नहीं ले पायेंगे। इससे फूल नहीं जाना चाहिए। अब तो सभी भारतीय समझ गये होंगे कि संघर्ष कठिन होगा। जेल तो जाना ही पड़ेगा; इसमें कुछ सन्देह नहीं है। जिनको अभीतक गिरफ्तार नहीं किया है उनको आगे चलकर गिरफ्तार किया जायेगा, ऐसा ही मानना चाहिए।

अब तो सभीको अपने हथियार सँभालकर, तैयार होकर प्रतीक्षा करनी है। जनरल कोंज़ी और उनकी फौज एक बार चौबीसों घंटे बख्तर पहनकर तैयार रहा करती थी;